दिल्ली के चिड़ियाघर में रॉयल बंगाल बाघिन ने दिया शावकों को जन्म - Punjab Kesari
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दिल्ली के चिड़ियाघर में रॉयल बंगाल बाघिन ने दिया शावकों को जन्म

वन्य प्राणी जीव सिर्फ जीव मात्र नहीं है ये उस देश की पहचान है जहा से होते है।

वन्य प्राणी जीव सिर्फ जीव मात्र नहीं है ये उस देश की पहचान है जहा से होते है। इन्हे बचाने के प्रयास में मानव समाज निरंतर कार्यरत में रहता है।हालिया बीते दिनों से वन्य प्राणी चीतों की मृत्यु की दुःख भरी खबरे आ रही थी।लेकिन कहते है न ऊपर वाला एक हाथ लेता है तो दूसरे  हाथ देता है।दिल्ली के चिडया घर में नन्हे शावकों की गूंजी किलकारी वाली दहाड़ एक रॉयल बंगाल बाघिन ने 18 साल के बड़े अंतराल बाद  के दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में शावकों को जन्म दिया है। जिसे लेकर वन्य प्राणी प्रेमियो में ख़ुशी की लहर है।     
बाघों के नाम करण, सिद्धि, अदिति और बरखा
सिद्धि नाम की रॉयल बंगाल टाइग्रेस ने 4 मई को पांच शावकों को जन्म दिया  जिसमे से दो जिंदा और तीन मृत पैदा हुए।  शावकों की सीसीटीवी कैमरों द्वारा निगरानी रखी जा रही है और चिड़ियाघर के कर्मचारियों नियमित निगरानी रखी जा रही। नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्राणी उद्यान के संग्रह में चार वयस्क रॉयल बंगाल टाइगर हैं और इन बाघों के नाम करण, सिद्धि, अदिति और बरखा हैं।
दिल्ली के चिड़ियाघर में बाघों की अच्छी ब्रीडिंग
राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली चिड़ियाघर) 1959 में अपने उद्घाटन के बाद से बाघों का आवास रहा है। 14 मई, 1969 को जूनागढ़ चिड़ियाघर से शेर का पहला जोड़ा भी एक जोड़ी बाघ शावकों के बदले में प्राप्त हुआ था। बाघ के अधिग्रहण के समय से, दिल्ली चिड़ियाघर ने संरक्षण, शिक्षा और प्रदर्शन के लिए अपनी आबादी को बनाए रखा है। दिल्ली के चिड़ियाघर में बाघों की अच्छी ब्रीडिंग हुई है और उन्हें देश-विदेश के कई चिड़ियाघरों के बदले में दिया गया है। 2010 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने गंभीर रूप से लुप्तप्राय जंगली जानवरों की प्रजातियों का एक समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया क्योंकि यह राष्ट्रीय चिड़ियाघर नीति 1998 का मुख्य उद्देश्य है।

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