नई दिल्ली : नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी के परिवारों को अपना मकान का सपना साकार कराने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना को दिल्ली में राजनीतिक द्वेष भावना से लागू नहीं होने दिया है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रति झुग्गी-झोपड़ी परिवार को 1.5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जानी थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने दिल्ली में केंद्र सरकार की अनेक महत्वाकांक्षी योजनाओं को लागू नहीं होने दिया। वर्ष 2015 में लागू हुई प्रधानमंत्री आवास योजना को राजनीतिक दुर्भावना से ग्रस्त होकर दिल्ली सरकार ने इसे क्रियान्वित करने में शुरू से ही रोड़े अटकाए गए।
एक वर्ष तक यह योजना फाइलों में उलझी रही
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार के डूसिब को शुरू में ही प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए नोडल एजेंसी बना दिया गया था। डूसिब, डीडीए और केन्द्र सरकार के बीच एमओयू साइन किया गया। दिल्ली सरकार ही सभी अपनी जमीन के अलावा केन्द्र सरकार की जमीन पर बसी झुग्गियों के लिए सर्वे करवाएगी।
इसके लिए डीडीए ने 27 झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों में सर्वे करवाए जाने के लिए डूसिब को 50 प्रतिशत 5,83,425 रुपये की अग्रिम राशि जमा करवा दी। इसके बावजूद भी डूसिब की 29 नवम्बर, 2018 को हुई स्टेट लेवल सैंक्शनिंग एण्ड मॉनिटरिंग कमेटी फॉर रिहैबिलिटेशन में दिल्ली सरकार ने सूचित किया कि उसके द्वारा सर्वे को रोक दिया गया है क्योंकि दिल्ली सरकार ने योजना का नाम बदल दिया है।