बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत 10 मार्च से होने जा रही है, और इसी के साथ वक्फ बिल को लेकर राजनीति गरमा गई है। कई मुस्लिम संगठनों ने इस बिल का विरोध जताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने शनिवार को ऐलान किया कि 13 मार्च से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़े आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।
‘वक्फ हमारा मजहबी मामला’ – अरशद मदनी
अरशद मदनी ने कहा कि वक्फ पूरी तरह से धार्मिक मामला है और इसमें सियासी पार्टियों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पार्टियां वक्फ बिल में संशोधन कर इसे लागू करने की तैयारी कर रही हैं, जिसका वे कड़ा विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि कुछ राजनीतिक दल इस्लाम के खिलाफ हैं और मुस्लिमों को इस देश में दबाने की कोशिश कर रहे हैं।”
1991 के वर्शिप एक्ट के पालन पर सवाल
अरशद मदनी ने 1991 के वर्शिप एक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि 1947 के बाद धार्मिक स्थलों की स्थिति नहीं बदली जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम विरोधी पार्टियां इस कानून का पालन नहीं कर रही हैं। उन्होंने खासतौर पर वाराणसी की मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों का उल्लेख किया और कहा कि इन्हें इस कानून के दायरे में रखा जाना चाहिए। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली में 13 मार्च से बड़े आंदोलन की तैयारी कर रही है।
13 मार्च से धरना प्रदर्शन की घोषणा
अरशद मदनी ने कहा कि 10 मार्च से शुरू हो रहे संसद सत्र में वक्फ बिल पेश किया जा सकता है, जिसके खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 13 मार्च से दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। उन्होंने मुसलमानों और अन्य समुदायों से इस आंदोलन में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की है।