बदल गई दिल्ली की सियासी फिजां - Punjab Kesari
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बदल गई दिल्ली की सियासी फिजां

दिल्ली की राजनीतिक फिजां कुछ और थी लेकिन सज्जन कुमार जो जाटों के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे, के

नई दिल्ली : दिल्ली कांग्रेस की जमीन पर शतरंज बिछ चुकी है और शह और मात सिर्फ इसलिए चल रही है कि बादशाह की ताजपोशी हो सके। अजय माकन के इस्तीफे और इसके मंजूर हो जाने के बाद कांग्रेस के रणनीतिकारों ने अध्यक्ष राहुल गांधी तक पूरी रिपोर्ट पहुंचा दी है। कहते हैं कि नए अध्यक्ष का फैसला लोकसभा केे शीतकालीन सत्र के सम्पन्न होने के बाद होगा।

एक महीने तक दिल्ली की राजनीतिक फिजां कुछ और थी लेकिन जमीनी नेता सज्जन कुमार जो जाटों के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे, के जेल जाने के बाद समीकरण प्रदेश कांग्रेस में तेजी से बदले हैं। बेताज बादशाह होते हुए भी उनकी मौजूदगी हर तरफ रहती थी और आज उनका ग्रुप विशेषकर जाट बैल्ट जो हरियाणा से भी जुड़ती है, में अजीबोगरीब हालात बने हुए हैं।

कांग्रेस रणनीतिकार अब इसीलिए एक ऐसे स्वच्छ नेता की तलाश में हैं जिसकी छवि बेदाग हो। पढ़ा-लिखा हो और हर वर्ग में उसकी स्वीकार्यता हो। जबकि पार्टी में राहुल गांधी के नजदीकियों ने जात-पात को लेकर नया फार्मूला तैयार किया है और पुराने फार्मूले के आधार पर पुराने अध्यक्षों के कार्यकाल में राजपाट सिमट जाने के उदाहरण भी दिए हैं।

वैश्य, सिख और पंजाबी के रूप में जयप्रकाश अग्रवाल, अरविन्दर लवली और अजय माकन का उदाहरण देकर आज कांग्रेस को अपनी जमीन मजबूत किए जाने की जरूरत पर बल देते हुए रणनीतिकारों ने कहा है कि ओबीसी या मुसलमान या दलित के साथ-साथ ब्राह्मण कम्बीनेशन भी चलाया जाए तो बात बन सकती है। खबर है कि के. राजू के लैपटॉप में नए समीकरणों को लेकर बहुत कुछ बंद है। जिस पर वह राहुल गांधी को नियमित रूप से फीडबैक देकर नए आदेश का इंतजार कर रहे हैं। नए फार्मूले तैयार हो चुके हैं जिस पर गंभीरतापूर्वक विचार चल रहा है।

कैसे बैठेगा जातीय समीकरण
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट के रूप में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर युवा कार्ड चला जबकि मध्यप्रदेश में उम्रदराज कमलनाथ पर यही दाव चला लेकिन अब दिल्ली में मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को अगर अध्यक्ष बनाया जाता है तो वहीं इस कड़ी में विधानसभा के स्पीकर रहे योगानंद शास्त्री का नाम लिया जा रहा है। एक प्रदेश अध्यक्ष की ऊर्जा को चलाएमान रखने के लिए सहयोगी के तौर पर कार्यवाहक प्रभार के साथ दो चेहरे उतारने को लेकर भी चर्चा चल रही है ताकि सबको एडजस्ट किया जा सके।

शीला ब्राह्मण कार्ड की कमी पूरी कर रही है लेकिन उम्र को लेकर संशय भी बरकरार है। हालांकि विकास कार्ड को चुनावी एजैंडा बताने की कोशिश में शीला समर्थक जुटे हैं। वहीं मुसलमान कोटे से पूर्व मंत्री हारुन यूसुफ का नाम लिया जा रहा है जबकि दिल्ली में पावरफुल मंत्री रहे और प्रदेश अध्यक्ष रहे अरविन्दर लवली भले ही हाथ-पैर मार रहे हैं परन्तु एक रुकावट भाजपा में लौट कर घर वापसी और आज की तारीख में उनकी स्वीकार्यता को लेकर सवाल भी पार्टी के अन्दर ही बड़े नेता उठा रहे हैं।

के. राजू के पास पूरी रिपोर्ट है। योगानंद शास्त्री विद्वान और जाट कोटे के लिहाज से फ्रेम में फिट हो सकते हैं, ईमानदार छवि वाले हैं, विद्वान हैं लेकिन क्या आलाकमान का उन पर दांव चलेगा, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। यंग चेहरों के तौर पर ओबीसी कोटे से देवेन्द्र यादव और दलित चेहरे के रूप में राजेश निलोठिया का नाम कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर लिया जा रहा है। अगर राहुल गांधी यंग चेहरा चाहते हैं तो ताज के लिए ये दोनों अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं लेकिन पार्टी के अन्दर स्वीकार्यता और सहमति को लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा परन्तु यह तय है कि नए सुल्तान के साथ ओबीसी और मुस्लिम या सिख कार्ड भी चलाया जा सकता है।

कुल मिलाकर दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष का ताज राहुल गांधी उसे देंगे जो जो लोकसभा के लिए बेहतर परिणाम देने की स्थिति में हो। कई पुराने चेहरे आऊट हो चुके हैं और उनका फोकस लोकसभा की बजाय दिल्ली राज्य है जहां 2020 में चुनाव होने हैं। फिलहाल राहुल यही चाहते हैं कि गुटों में बंटी कांग्रेस को इस वक्त एक ऐसे नेता के नेतृत्व में बांध कर रखा जाए जहां सहमति और काम करने की ललक हो जिसके दम पर कांग्रेस दिल्ली में चमत्कारिक रूप से तीन बार शासन कर चुकी है। यह जवाब 15 जनवरी से पहले मिल सकता है।

– परविन्दर शारदा

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