स्कूली बच्चों की परिवहन सुरक्षा को लेकर बनाई जाएगी नीति - Punjab Kesari
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स्कूली बच्चों की परिवहन सुरक्षा को लेकर बनाई जाएगी नीति

स्कूली बच्चों की परिवहन सुरक्षा को लेकर नई नीति गठित करने और सेफर रोड्स सेफर यू कार्यक्रम के

नई दिल्ली : दिल्ली स्थित हेवीटेट सेंटर में इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन, मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की ओर से स्कूली बच्चों की परिवहन सुरक्षा को लेकर नई नीति गठित करने और सेफर रोड्स सेफर यू कार्यक्रम के तहत जागरूक करने के लिए दो दिनी सेमिनार आयेाजित किया जा रहा है। इस सेमिनार का उद्घाटन मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे भारत सरकार ज्वाइंट सेकेट्ररी आईआरएस अभय डामले ने किया और स्कूली बच्चों की परिवहन सुरक्षा को लेकर बनने वाली नीति से सभी को अवगत भी कराया।

उद्घाटन अवसर पर डायरेक्टर जनरल ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट एंड नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स आईपीएस सुदीप लखटकिया भी विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। इस सेमिनार के दौरान इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन के अध्यक्ष डॉ. रोहित बलुजा ने डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल स्टेट्स रिपोर्ट के साथ भारत में सड़क हादसे में मरने वालों के आंकड़े भी प्रस्तुत किए गए। इस रिपोर्ट के अनुसार बताया गया कि 18 साल की उम्र से कम के बच्चे हर साल 10 हजार सड़क हादसों में मारे जा रहे हैं। जबकि 19 से 25 वर्ष के सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 35 हजार सालाना है।

इसमें स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या अधिक है। जो मामूली गलतियों की वजह से सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं। इस पर अभय डामले ने कहा कि स्कूली बच्चों की परिवहन सुरक्षा को लेकर नीति बनाकर बिल पास कराने की कोशिश की जा रही है। ताकि स्कूली बच्चों के सड़क हादसों को रोका जा सके। इसके अलावा हिदायतें भी फिलहाल जारी की गई हैं। जिसे स्कूल, ट्रांसपोर्ट्स और स्कूली बच्चों को भी फोलो करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि स्कूलों को चाहिए कि वह अपनी बसों की तरह ही प्राइवेट बसों को भी स्कूली बच्चों को सड़क पर न छोड़ स्कूल में छोड़ने की नीति बनाए। ब्लैक स्पॉट को ठीक करने की तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। इसके लिए अफसर को जिम्मेदारी लेने की जरूरत है। ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर करने से समस्या हल नहीं होगी। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीक को स्कूल अपनाएं, जिससे पैरेंट्स को पता रहे कि उनका बच्चा कब घर आने वाला है।

उन्होंने सभी स्टेट से भी गुजारिश की कि वह संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में डाटा एकत्र करने का निर्देश जारी करें। प्राइवेट बसों के ड्राइवरों को ट्रेनिंग दिलाएं। इससे स्कूली बच्चाें को सुरक्षित किया जा सके। मंगलवार को ट्रेनिंग की जरूरतों को लेकर सेमिनार में चर्चा की जाएगी।

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