पीएम मोदी देश के रियल हीरो - Punjab Kesari
Girl in a jacket

पीएम मोदी देश के रियल हीरो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आधारित बॉयोपिक ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ में प्रधानमंत्री का किरदार निभाया है मशहूर अभिनेता विवेक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आधारित बॉयोपिक ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ में प्रधानमंत्री का किरदार निभाया है मशहूर अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने। विवेक ओबेरॉय का कहना है कि जीवन में एक अभिनेता अनेक फिल्मों में रोल करता है जिनमें से कुछ की अमिट छाप जीवन में रह जाती है। इस फिल्म में किए गए किरदार को वे कभी न भूल पाने वाला किरदार बताते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का अभिनय करने के लिए उन्हें करीब एक साल तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, बचपन से मुख्यमंत्री बनने का सफर तय कर चुके मोदी के समकालीन लोगों से गुजरात जाकर संपर्क साधा और काफी चीजों पर रिसर्च किया। पेश है अभिनेता विवेक ओबेरॉय से पंजाब केसरी के मेट्रो एडिटर सतेन्द्र त्रिपाठी की विशेष बातचीत…

आप इस फिल्म में प्रधानमंत्री मोदी का किरदार निभाने के लिए कैसे तैयार हुए?
दरअसल इस फिल्म के प्रोड्यूसर संदीप सिंह मुझसे पहले कई बार फिल्म में रोल करने के लिए बोल चुके थे, लेकिन मैं हर बार बहुत देर तक उनके साथ बैठता, स्क्रिप्ट सुनता और हर बार मना कर देता। इस बार वे शूटिंग के दौरान मेरे सेट पर पहुंच गए और बोले कि भाई मैं नरेन्द्र मोदी के ऊपर फिल्म बना रहा हूं और चाहता हूं कि आप फिल्म में किरदार निभाएं। मैंने यह सुनकर कुछ देर सोचा और हां कर दी। इसके बाद लंबा रिसर्च शुरू हुआ। बचपन से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक मोदीजी के संपर्क में रहे लोगों से संपर्क किया गया। प्रधानमंत्री के मन की बात को सुना गया। मैं बताना चाहूंगा कि लोग कहते हैं कि मैं मोदीजी को पसंद करता हूं, लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि मैं उन्हें ही नहीं, बल्कि उनके काम को पसंद करता हूं।

इस फिल्म को लेकर काफी समय लग गया और आपको आलोचना भी सहनी पड़ी, इस पर आपकी क्या राय है?
कम से कम एक साल तो रिसर्च वर्क किया गया। मोदीजी जैसा दिखने के लिए आलोचना भी सहनी पड़ी, लोग कहते थे कि मैं उनके जैसा नहीं लगता हूं, मैंने कहा कोई बात नहीं चुनौती स्वीकार की। मेरी टीम के सदस्यों ने कहा कि क्यों न मैकअप के लिए विदेश से किसी एक्सपर्ट को बुलाया जाए, लेकिन मैंने कहा कि नहीं मोदी जी पर फिल्म बन रही है तो ‘मैकअप भी मेड इन इंडिया’ होना चाहिए। यह मुश्किल था, लेकिन सफलता मिली। आठ घंटे मुझे एक ही जगह लिटाकर मैकअप किया गया, जो कि चुनौतीपूर्ण था।

15 बार टेस्ट दिया जिसके बाद उनके जैसा लुक मिलने की सफलता मिली। इसके बावजूद सबसे बड़ा सवाल मेरे मन में यह था कि मोदीजी की आंखों की चमक कैसे और कहां से लायी जाए उसके लिए तो कोई लैंस भी नहीं है। इसके लिए मैंने पिताजी से पूछा और उन्होंने कहा कि तेज संयम और अनुशासन से आता है। गुजरात के समय जब मैं मोदीजी से मिला था तो तब उन्होंने कहा था कि चाहे रात में वे एक बजे सोने जाएं, लेकिन सुबह चार बजे उठकर ध्यान और योग करते हैं। उनकी उसी बात पर गौर करते हुए पांच महीने मैंने ऐसा किया और सात्विक हो गया।

इस किरदार से आखिर आपने क्या सीखा?
अक्सर अभिनेता किरदार करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। मेरे 17 वर्ष के करियर में बहुत कम ऐसे किरदार हैं जिन्होंने अमिट छाप छोड़ी है। उनमें से एक किरदार इस फिल्म का भी रहा है। आज भी मैं वह संयम बरतता हूं। सुबह चार बजे उठकर योग और प्राणायाम करता हूं।

क्या मोदीजी को आपने हीरो बना दिया?
मैं यह कहना चाहूंगा कि मैंने मोदी जी को हीरो नहीं बनाया। देश के करोड़ों लोगों के प्यार ने मोदी जी को हीरो बनाया है। वे पहले से हीरो हैं, हमने तो केवल उन पर फिल्म बनाई है। मुझे लगता लगता है कि दो घंटा पन्द्रह मिनट की अवधि में हम बहुत कुछ नहीं दर्शा सके क्योंकि एक फिल्म के माध्यम से समय बहुत कम होता है। जीवन में मोदी जी ने इतना कुछ अचीव किया है कि उसे हम दिखा ही नहीं पाए।

क्या यह फिल्म प्रोपेगेंडा है?
मैं कहता हूं कि फिल्म प्रोपेगेंडा नहीं, बल्कि मेरी फिल्म के खिलाफ प्रोपेगेंडा हुआ है। जिन लोगों ने ऐसा किया है, शायद उन्हें अपने काम पर विश्वास नहीं है। शायद वो इसलिए डरते हैं कि उन्हें मालूम हो रहा है कि 50-60 साल में उनका काम खराब रहा है। देखने वाली बात है कि पांच साल में भारत कहां से कहां पहुंच गया, ये सब काम 50 साल पहले क्यों नहीं हुए।

आपसे पूछना चाहेंगे कि क्या मोदीजी ने सभी क्षेत्रों में कार्य किए, उन्हें डिवाइडर भी कहा गया। इस पर आपकी क्या राय है?
मेरा इससे अलग दृष्टिकोण है। मुझे लगता है कि अंग्रेजों के समय से इस देश में ‘डिवाइड एंड रूल’ का फार्मूला रहा है। 2014-2019 में कहते थे कि कोई मोदी लहर नहीं है, लेकिन अब एग्जिट पोल क्या दर्शा रहे हैं। दरसअल मोदी जी ने फार्मूला बदल दिया है। ‘डिवाइड एंड रूल’ को बना दिया है ‘यूनाइटेड यानी अखंड भारत।’ यह उनकी देश के लिए सबसे बड़ी सेवा रही है।

नसीरुद्दीन शाह जैसे अनेक लोगों के असुरक्षित महसूस करने वाले कमेंट पर क्या कहेंगे?
जो लोग खुलकर निंदा करते हैं कि देश में वे सुरक्षित नहीं हैं तो यह जान लें कि भारत में पूरी तरह से लोकतंत्र है। कमेंट करने पर उन्हें उठाकर बंद नहीं कर दिया गया, उन पर इमरजेंसी नहीं लगा दी गई। ये रियल डेमोक्रेसी का प्रतीक है। लोकतंत्र में खुलकर निंदा कर सकते हैं और मैं ऐसे पीएम को सैल्यूट करता हूं जिन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया। मैं मानता हूं कि मोदीजी देश के सबसे सेकुलर नेता हैं। मुझे ऐसा लगता है कि वे चाहते तो ओबीसी कार्ड खेल सकते थे, लेकिन वे केवल देश का विकास, प्रगति और उन्नति चाहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।