दिल्ली, पश्चिम बंगाल व सिक्किम ने नहीं अपनाई पीएम किसान स्कीम : सिंह - Punjab Kesari
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दिल्ली, पश्चिम बंगाल व सिक्किम ने नहीं अपनाई पीएम किसान स्कीम : सिंह

पश्चिम बंगाल, दिल्ली एवं सिक्किम ने पीएम-किसान पोर्टल पर लाभार्थियों का विवरण अभी तक अपलोड नहीं किया गया।

नई दिल्ली : किसानों को नकद सहयोग देने वाली मोदी सरकार की योजना ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ के तहत पहली किस्त जारी कर दी गई है लेकिन पश्चिम बंगाल, दिल्ली और सिक्किम के किसान इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। कृषि मंत्रालय ने रविवार को विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पश्चिम बंगाल, दिल्ली एवं सिक्किम ने पीएम-किसान पोर्टल पर लाभार्थियों का विवरण अभी तक अपलोड नहीं किया गया है। इस कारण उनको ‘पीएम किसान’ का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

केन्द्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह का कहना है कि पश्चिम बंगाल के कुल अनुमानित पात्र किसानों की संख्या 67,11,230 है। ऐसे में अगर बंगाल इस स्कीम को अपनाता है तो यहां के पात्र किसानों को 2000 रुपए की प्रथम किस्त के रूप में 1342 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा। वहीं, सिक्किम में 55,090 किसान तथा दिल्ली में 15,880 किसानों को इस योजना के माध्यम से आर्थिक लाभ हो सकता है। ऐसे में क्रमश: 11 करोड़ रुपए तथा 3 करोड़ रुपए का लाभ इन राज्यों में किसानों तक पहुंच सकता है, अगर राज्य आवेदन करें।

उल्लेखनीय है कि देशभर में सभी लघु एवं सीमांत भू-धारक किसान परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान कर किसानों की आय को बढ़ाने की दृष्टि से केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) आरंभ की गई है। इस स्कीम का उद्देश्य कुछ शर्तों के अधीन 2 हेक्टेयर कृषि योग्यक भूमि के स्वामित्व वाले किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। आज की तिथि तक 33 राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों ने 4.76 करोड़ लाभ भोगियों का डाटा अपलोड किया है।

इसमें से लाभार्थी डाटा सार्वजनिक वित्त प्रबंधन सिस्टपम (पीएफएमएस) वैलिडेशन सहित वैधता प्रक्रिया के माध्यम से परखने के बाद 3.11 करोड़ लाभार्थी डाटा वैध पाया गया था। लगभग 2.75 करोड़ लाभार्थियों को निधि जारी कर दी गई हैं। इसके अतिरिक्त 22 लाख लाभार्थियों के लिए राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों को निधियों के हस्तांतरण के लिए अनुरोध करना है। लगभग आठ लाख लाभार्थियों को निधि का हस्तांतरण किया जा रहा है। 1.65 करोड़ लाभार्थियों का डाटा राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों को गलती, कमियों में सुधार करने के लिए इस आशय से भेजा गया था कि वे अपेक्षित कार्रवाई कर वैधीकरण के लिए पुन: उनका डाटा प्रस्तुत करें परंतु यह अभी राज्य व संघ राज्य सरकारों के पास लंबित है।

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