एयरलाइंस जैसी डाइनैमिक प्राइसिंग को रेलवे में भी लागू करने को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने नाखुशी जाहिर करते हुए सुझाव को नकार दिया है। डाइनैमिक प्राइसिंग योजना की समीक्षा के लिए बनी समिति को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि वह नए सिरे से मामले पर विचार करे और ताजा रिपोर्ट तैयार करे। पिछले साल दिसंबर में बनाई गई कमिटी अभी लागू फ्लेक्सी सिस्टम का प्रभाव जानने और रेवेन्यू बढ़ाने के और तरीकों के बारे में सुझाव देने के लिए बनी थी।
कमिटी ने 15 जनवरी को अपनी रिपोर्ट भेजी जिसमें सभी एक्सप्रेस मेल ट्रेनों में एयरलाइंस की तरह डाइनैमिक प्राइसिंग लागू करने का सुझाव दिया। कमिटी का सुझाव था कि किसी भी टिकट की कीमत कई कारकों पर निर्भर करेगी। जिसमें त्योहारों के समय अधिक रेट, लोअर बर्थ के लिए अतिरिक्त चार्ज, कम समय में पहुंचाने वाली ट्रेन का ज्यादा किराया शामिल था। कमिटी ने ऐसा भी सुझाव दिया कि था जिससे ट्रेन का किराया फ्लाइट्स की तरह ट्रेन यात्रा के दिन करीब आने के साथ-साथ बढ़ता जाएगा।
13 मार्च को फ्लेक्सी फेयर को लेकर हुई 20 मिनट की मीटिंग में गोयल ने इन सभी सुझावों को लेकर नाखुशी जाहिर की और कमिटी से फिर से विचार करने को कहा। इस कमिटी में रेलवे बोर्ड के कुछ अधिकारी, नीति आयोग के सलाहकार और एयर इंडिया के कुछ अधिकारी शामिल थे। 2015-16 में जब फ्लेक्सी-फेयर सिस्टम शुरू नहीं किया गया था तब 138.71 लाख टिकट बुक किए गए और रेलवे ने 1931.6 करोड़ रुपये कमाए।
सितंबर 2016 में जब फ्लेक्सी-फेयर सिस्टम लाया गया तो रेलवे ने 137.39 लाख टिकट बेच कमाई 2,192.24 तक बढ़ा ली। फ्लेक्सी सिस्टम से रेलवे का किराया 50 प्रतिशत तक बढ़ गया। ऐसा माना जा रहा है कि 13 मार्च को इस संबंध में 20 मिनट तक चली बैठक में केन्द्रीय मंत्री ने प्रस्ताव पर अप्रसन्नता जताते हुए पुन: विचार करने को कहा। समिति में रेलवे बोर्ड के कुछ अधिकारी, नीति आयोग के सलाहकार रविन्द्र गोयल, एयर इंडिया में राजस्व प्रबंधन विभाग की कार्यकारी निदेशक मीनाक्षी मलिक, प्रोफेसर एस. श्रीराम और अन्य शामिल हैं।
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