नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन और शिक्षक संघ आमने-सामने है। इसी क्रम में बीते दिनों जेएनयू प्रशासन द्वारा 48 शिक्षकों को प्रदर्शन करने को लेकर दिए नोटिस का मामले में अब अन्य विश्वविद्यालय के शिक्षकों का भी साथ मिल गया है। अब इस पूरे मामले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, विश्वभारती विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया सहित कई विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठनों के शिक्षकों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है।
इसी को लेकर शनिवार को नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। इस दौरान राज्सभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा भी उपस्थित रहे। उन्होंने इस पूरे मामले को राज्यसभा में रखने और शिक्षकों को न्याय दिलवाने की बातें कहीं। शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह केवल 48 शिक्षकों का मामला नहीं है। यह देश के तमाम विश्वविद्यालयों के शिक्षकों का मसला है। जिस नियम का हवाला देते हुए जेएनयू प्रशासन ने शिक्षकों पर कार्रवाई की है वह नियमावली जेएनयू में लागू नहीं होती है।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जो लोग प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उन्हें डरा धमकाकर एक रोबोट में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है। जिसे हम कभी पूरा नहीं होने देंगे। वहीं दूसरी ओर जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अतुल सूद ने कहा कि प्रशासन ने जो नोटिस शिक्षकों को दिया है वह गैर कानूनी, अनैतिक और उस नोटिस का कोई आधार ही नहीं है। जेएनयू के शिक्षकों ने कोई ऐसा काम नहीं किया है, जिसको लेकर प्रशासन नोटिस दे। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन नेेटिस को तुरंत वापस लें।
क्योंकि जिस रूल सीसीएस का हवाला दिया गया है वह जेएनयू पर लागू नहीं होता है। अतुल सूद ने बताया कि 31 जुलाई 2018 को प्रशासन से जेएनयू को नियमों के अनुसार चलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। जो भी प्रशासन को नियमों से चलने की बात करता है। प्रशासन उन्हें नोटिस भेज रही है।