नई दिल्ली : जिस प्याज के दामों को लेकर दिल्ली में हंगामा मचा हुआ है। इसी प्याज ने 1998 में दिल्ली से भाजपा की सरकार को दोबारा नहीं आने दिया। कांग्रेस ने प्याज को दिल्ली की जनता के आगे इस तरह से प्रोजेक्ट किया कि लोगों ने बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया, उसके बाद लगभग 20 साल हो गए लेकिन भाजपा सत्ता में नहीं लौटी। एक बार फिर दिल्ली में चुनावों की सरगर्मी के बीच प्याज के दामों पर राजनीति शुरू हो गई है।
इससे पहले भी कई बार प्याज के दामों ने राजनीतिक तूफान खड़े किए हैं। जब-जब इसके दाम आसमान पर पहुंचे हैं, तब-तब किसी न किसी की कुर्सी हिली है। यही वजह है कि संसद से लेकर सड़क तक प्याज को लेकर हंगामा मचा हुआ है। प्याज ने आपातकाल से ही अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया था।
कहा जाता है कि जनता पार्टी की सरकार भले ही अपनी वजहों से गिरी हो, लेकिन कांग्रेस ने उसके बाद का चुनाव प्याज की वजह से जीत लिया। इसके अलावा केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तो 1998 में प्याज की कीमतों ने फिर रुलाना शुरू कर दिया। उस समय दिल्ली में मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व वाली भाजपा बुरी तरह हार गई।
शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन 15 साल बाद प्याज ने उन्हें भी रुला दिया। अक्तूबर 2013 को प्याज की बढ़ी कीमतों पर सुषमा स्वराज की टिप्पणी थी कि यहीं से शीला सरकार का पतन शुरू होगा। वही हुआ। भ्रष्टाचार के साथ महंगाई का मुद्दा चुनाव में एक और बदलाव का साक्षी बना। अब फिर प्याज की कीमतों में उछाल का सीजन है और चुनाव का भी।