नई दिल्ली : सीलिंग की मार से कराह रहे दिल्ली भर के व्यापारी और दुकानदार लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। रोजी-रोटी को मोहताज दिल्ली के दुकानदारों को इसका कोई समाधान नजर नहीं आ रहा। सीलिंग के विरोध में शनिवार को दक्षिणी दिल्ली के अमर कॉलोनी इलाके में दुकानदारों और व्यापारियों ने कटोरे में भीख मांगकर अपना रोष प्रकट किया। इस दौरान अमर कॉलोनी की डबल स्टोरी गारमेंट मार्केट के दुकानदारों ने अपने परिवार के लोगों के साथ रिंगरोड पर बैठक भीख मांगी। दुकानदारों की पत्नियों, बच्चों और परिजनों ने लाजपत नगर फ्लाईओवर के पास बैठक आने-जाने वाले लोगों से भीख मांगी। इन लोगों ने रोड पर कतार में बैठकर कपड़े, गोलगप्पे, खीरा ककड़ी, कपड़े और अन्य खाने-पीने का सामान बेचा।
दुकानदारों और उनके परिजनों का कहना था कि सरकार ने सीलिंग के माध्यम से हमारा रोजगार छीन लिया है। ऐसे में हम अपना घर कैसे चलाएंगे। हमें रोजमर्रा का सामान खरीदने के लाले पड़ गए हैं। इसीलिए हमारे सामने भीख मांगने की नौबत आ गई है। साथी दुकानदारों और अपने परजिनों के साथ भीख मांग रहे रेडीमेड गारमेंट मॉर्केट एसोसिएशन के महासचिव मनदीप कोहली ने बताया कि हमारी मॉर्केट में करीब 800 दुकाने हैं। तत्कालीन शहरी विकास मंत्री सिकंदर बख्त ने एक आदेश के माध्यम से हमारी दुकानों को वैध कर दिया था। उनके आदेश के बाद दुकानों के 10 फुट आगे और साढ़े 17 फीट पीछे के हिस्से में हमने निर्माण किया जो आदेश के अनुसार वैध हैं। उन्होंने बताया कि इन दुकानों में हम कानूनी रूप से बिजनेस कर रहे हैं।
हम सरकार को वैट दे रहे हैं, बिजली-पानी का बिल दे रहे हैं। इतना ही नहीं सभी दुकानों का कन्वर्जन शुल्क, पार्किंग शुल्क और हाउस टैक्स भी जमा है। हमारे पास निगम द्वारा दिया गया वर्क परमिट भी है। ऐसे में हम गलत कहां हैं। हमारी मार्केट में ग्राउंड फ्लोर सील कर दिए गए हैं। मास्टर प्लान के अनुसार 2007 से हमारी मार्केट में चार सड़कें नोटीफाइड हैं। इनमें से एक सड़क पूरी तरह से कमर्शियल है और अन्य तीन सड़क मिक्स लैंड के रूप में नोटीफाइड हैं। कोहली ने मांग की कि सरकार 31 दिसंबर 2017 तक की स्थिति को यथावथ रखते हुए हमें अपनी दुकानों को नियमित करने के लिए छह माह का समय दे। इसी मार्केट के दुकानदार गुरदीप सिंह ने बताया कि 27 साल से हम यहां काम कर रहे हैं। 27 साल में अब सरकार को अतिक्रमण की याद आयी है। गत 8 मार्च को सीलिंग टीम ने कार्रवाई करते हुए चार सौ दुकानें बंद कर दी थी। इसके चलते हम और हमारी दुकानों पर काम करने वाले लोगों के परिवार रोजी रोटी को मोहताज हो गए हैं।
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