नई दिल्ली : तीस हजारी कोर्ट में शनिवार को पुलिस-वकील हिंसा के बाद दिल्ली एडवोकेट समंवयक समिति ने 4 नवंबर को सभी जिला अदालतों में काम नहीं करने की घोषणा की है तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं दिल्ली ने भी पुलिस द्वारा किए गए इस कृत्य की निंदा करते हुए पुलिस कमिश्नर से गैर जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
इस मामले में गृह मंत्रालय और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भी पत्र भेजा गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि कार पार्किंग के एक छोटे से मुद्दे पर गोलीबारी करना पुलिस के गैर जिम्मेदार रवैये को दर्शाता है। पुलिस के इस तरह के आपराधिक व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता है। ऐसे पुलिस वालों को तुरंत निलंबित किया जाए। मिश्रा ने कहा कि उनकी टीम स्थिति का जायजा ले रही है। एक वकील गंभीर रूप से घायल हुआ है। इस जायजे के बाद ही आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।
उपराज्यपाल, गृह मंत्रालय और चीफ जस्टिस से भी आपराधिक प्रवृति के पुलिस वालों पर एफआईआर दर्ज कर तुरंत कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। दिल्ली एडवोकेट समंवयक समिति अध्यक्ष धीर सिंह कसाना और चेयरमैन महावीर शर्मा ने बताया कि इस झड़प के विरोध में सभी जिला अदालत परिसरों में कामकाज से परहेज करने का निर्णय लिया गया है। उनके एक वकील को गोली लगी है और एक पत्रकार की भी पिटाई पुलिस वालों ने की है।
तीस हजारी बार एसोसिएशन के जय बिसवाल और प्रदीप खत्री ने बताया कि एक वकील जब अदालत आ रहा था तब पुलिस की वैन ने पार्किंग करते वक्त उसकी गाड़ी को टक्कर मार दी। पार्किंग को लेकर विवाद बढ़ा और पुलिसकर्मियों ने उसका मजाक उड़ाया। इसका विरोध करने पर 6 पुलिसकर्मी उसे अंदर खींच कर ले गए और पीटना शुरू कर दिया।
इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को देने के बाद थाना प्रभारी व स्थानीय पुलिस पहुंची लेकिन उन्हें उन पुलिसकर्मियों ने उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया। इसके बाद हाईकोर्ट को सूचना दी गई। वहां से 6 जजों के साथ टीम भेजी गई। उन्हें भी अंदर नहीं घुसने दिया गया। जब वो जाने लगे तो उन पुलिसवालों ने गोलियां चला दीं।