मुस्लिम वोटरों की खामोशी आप-कांग्रेस में बेचैनी - Punjab Kesari
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मुस्लिम वोटरों की खामोशी आप-कांग्रेस में बेचैनी

मुस्लिम वोटरों की ने दिल्ली के प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा दी। कांग्रेस-आप दोनों ही दल शुरू से लेकर

नई दिल्ली : दिल्ली में मुस्लिम वोटरों की खामोशी ने दिल्ली की दो राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा दी है। कांग्रेस और आप दोनों ही दल शुरू से लेकर अंत तक मुस्लिम वोटरों के साधने में जुटे रहे। इन्हें मोदी का डर भी दिखाया गया तो वहीं मौलवी-मुल्ला को भी अपने साथ करने के ​लिए हर जतन किए गए। ओखला में आप पार्टी की प्रत्याशी आतिशी को तो यहूदी बताकर मुस्लिमों में नफरत फैलाने की चाल चली गई। लेकिन र​विवार को तमाम मुस्लिम बाहुल्य इलाकों का माहौल देखकर यह कहना मुुशिकल था कि मुस्लिमों ने किसको वोट दिया। वैसे तीन तलाक कानून लाकर भाजपा भी कम से कम मुस्लिम महिलाओं से तो वोट की उम्मीद कर रही है। कम से कम तीन सीटों पर मुस्लिम निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

इसमें उत्तर-पूर्वी, पूर्वी दिल्ली व चांदनी चौक तीनों में ही मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। कहा जा रहा है कि अगर वोटर किसी एक पार्टी पर सिमट गया तो परिणाम बदल सकते हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली में सबसे अधिक मतदान हुआ है। यहां पर मुसलान वोटरों की संख्या लगभग साढ़े चार लाख है। इस सीट पर कांग्रेस में तो मुस्लिम प्रत्याशी तक उतराने की चर्चा चल रही थी। उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर, जाफराबाद, मुस्तफाबाद, बाबरपुर, सुंदरनगरी, सीमापुरी, घौंडा का नूरइलाही जैसे कई मुस्लिम बाहुल्य इलाके हैं। सीलमपुर विधानसभा से पांच बार विधायक रहे कांग्रेस के मतीन अहमद ने कांग्रेस प्रत्याशी शीला दीक्षित की जी-जान झोंक रखा था। सीलमपुर विधानसभा में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है।

मुस्तफाबाद से कांग्रेस के पूर्व​विधायक रहे हसन अहमद ने कांग्रेस के लिए पूरा जोर लगा रखा था। इन इलाकों में लोकल से ज्यादा नेशनल मुद्दे हावी थे। इसमें चाहे वह राम मंदिर मुद्दा हो या फिर गुजरात के दंगे जमकर भुनाए जा रहे थे। मोदी के नाम का खौफ दिखाकर मुसलमानों के वोटों को साधने की कोशिश की गई। शीला दीक्षित जैसा बड़ा नाम मुस्लिमों को प्रभावित कर गया। मतदान केन्द्रों के बाहर लगी टेबल की भीड़ देखकर तक कुछ ऐसा ही लग रहा था। पिछले कई महीनों से मेहनत कर रहे आप प्रत्याशी दीलीप पांडे का रंग कुछ फीका नजर आया। इस कारण इस सीट पर भाजपा के मनोज तिवारी के लिए कड़ा मुकाबला माना जा रहा है कि इस बार यहां का मुस्लिम वोट कांग्रेस के खाते में गया है। अगर वोट आप व कांग्रेस में नहीं बंटा तो भाजपा मुश्किल में पड़ सकती है।

चांदनी चौक में मुस्लिम वोटर की संख्या साढ़े तीन लाख के करीब है। पहले यहां से शोएब इकबाल हमेशा वोट काटकर भाजपा को जीता दिया करते थे। लेकिन इस बार वह कांग्रेस के साथ थे तो डॉ. हर्षवर्धन के लिए चुनौती बन सकते हैं। चांदनी चौक, मटिया महल, जामा मस्जिद, सदर बाजार, फराश खाना, दरियागंज, बाड़ा हिन्दूराव आदि इलाकों में मुसलमान वोटरों की संख्या कोई भी उलटफेर कर सकती है। इसी तरह पूर्वी दिल्ली सीट का ओखला, कल्याणपुरी, त्रिलोकपुरी, कोंडली, गांधी नगर का बुलंद मस्जिद शास्त्री पार्क जैसे मुस्लिम इलाके इस बार किसी की हवा नहीं चली। आप व कांग्रेस ने ओखला में बहुत मेहनत की है, अब देखना है कौन बाजी मारता है?

– सतेन्द्र त्रिपाठी

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