उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा नियुक्त सदस्यों को डिस्कॉम बोर्ड से हटाने के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के फैसले को शनिवार को ‘‘असंवैधानिक और अवैध’’ करार दिया।सिसोदिया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उपराज्यपाल ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को पलटने का एक नया चलन शुरू किया है।
असंवैधानिक, अवैध तथा स्थापित प्रक्रिया के विरूद्ध
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने इन आरोपों को भी खारिज किया कि अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा नियुक्त सदस्यों ने निजी डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) को 8,000 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया।उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल कथित ‘घोटाले’ की जांच किसी केंद्रीय एजेंसी से करा सकते हैं।दिल्ली के विद्युत विभाग का कामकाज संभाल रहे उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सक्सेना का निर्णय ‘‘असंवैधानिक, अवैध तथा स्थापित प्रक्रिया के विरूद्ध ’’ है।
उपराज्यपाल के फैसले पर ऐतराज जताया
सिसोदिया ने ‘मतभिन्नता’ के आधार पर सदस्यों को हटाने के उपराज्यपाल के फैसले पर ऐतराज करते हुए कहा, ‘‘ ‘मतभिन्नता’ प्रावधान का इस तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ऐसा करने की एक प्रक्रिया है तथा सरकार के निर्णयों को बार-बार पलटने के लिए उसका हवाला नहीं दिया जा सकता।’’उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उपराज्यपाल संविधान एवं उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं जिसके अनुसार स्वतंत्र निर्णय लेने का उनका अधिकार तीन विषयों– पुलिस, भूमि और सेवाओं तक सीमित है।
BRPF और TPDDLके बोर्डों में सरकार का करेंगे प्रतिनिधित्व
पहले उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि बोर्ड में आप नेता जस्मीन शाह समेत ‘सरकारी मनोनीतों’ की जगह वरिष्ठ अधिकारियों को लाया गया है।उन्होंने कहा कि आप प्रवक्ता शाह समेत बोर्ड से जिन लोगों को हटाया गया है उनमें आप सांसद एन डी गुप्ता के बेटे और अन्य निजी व्यक्ति शामिल हैं जो बोर्ड में ‘‘अवैध रूप से मनोनीत ’’ थे। उन्होंने कहा कि अब वित्त सचिव , विद्युत सचिव और दिल्ली ट्रांस्को के प्रबंध निदेशक बीवाईपीएल , बीआरपीएफ और टीपीडीडीएल के बोर्डों में सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे।