सारी सुख-सुविधाएं छोड़ स्वामी बने थे प्रोफेसर - Punjab Kesari
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सारी सुख-सुविधाएं छोड़ स्वामी बने थे प्रोफेसर

प्रोफेसर जीडी अग्रवाल चाहते तो अपनी जिंदगी शान-शौकत से काट सकते थे, रिटायरमेंट के बाद सरकारी सुख-सुविधाएं लेकर

हरिद्धार : पहले देश के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर, फिर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और उसके बाद भी न जाने कितने संस्थानों में अपनी सेवा दे चुके ये शख्श थे प्रो जीडी अग्रवाल। जीडी अग्रवाल अपने शुरुआती दिनों से ही पर्यावरण और गंगा स्वच्छता को लेकर काम करते रहे। जीडी अग्रवाल चाहते तो अपनी जिंदगी शान-शौकत से काट सकते थे, रिटायरमेंट के बाद सरकारी सुख-सुविधाएं लेकर जीवन बीता सकते थे।

लेकिन गंगा और पर्यावरण के प्रति उनके लगाव ने उन्हें प्रोफेसर जीडी अग्रवाल से स्वामी सानंद बना दिया। स्वामी सानंद पिछले 111 दिनों से गंगा की स्वच्छता, अविरलता और खनन माफिया को लेकर मातृ सदन में आमरण अनशन पर थे, लेकिन आज वे सरकार और प्रशासन की उपेक्षा के चलते हमारे बीच नहीं हैं। इतिहास में ऐसा बहुत कम हुआ है जब किसी ने गंगा को लेकर इतने दिनों तक अनशन किया हो। स्वामी सानंद लंबे समय से केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ अनशन कर रहे थे। गंगा के प्रति सरकारों के नकारात्मक रवैये और उपेक्षापूर्ण नीति के चलते स्वामी सानंद पहले भी कई बार सरकार पर सवाल उठा चुके थे, लेकिन सुस्त पड़ी सरकारों को न स्वामी की सेहत की चिंता थी और न ही सलाह की।

गंगा संरक्षण को लेकर 111 दिनों से अनशन कर रहे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का निधन

नतीजा आज स्वामी सानंद हमारे बीच नहीं रहे। ऐसा नहीं है कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के अनशन से सरकार की चूलें न हिली हों। पूर्व में भी सानंद के अनशन के बाद ही कांग्रेस सरकार में गंगा को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का फैसला लिया गया था, ये स्वामी के अनशन का ही नतीजा था कि गोमुख से लेकर नीचे 130 किलोमीटर तक के इलाके को ‘इको सेंसिटिव जोन यानी पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया। भले ही स्वामी सानंद एम्स अस्पताल में भर्ती हो, लेकिन मरते दम तक गंगा के लिए उनका जज्बा कायम रहा। बिना अन्न और जल के भी सानंद गंगा के लिए गंभीर रहें, जो कि अपने आप में किसी तपस्या से कम नहीं था।

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