जानिए राकेश टिकैत कब घर वापिस जाएंगे, अभी अन्नदाताओं को लौटने में 4-5 दिन का समय लगेगा - Punjab Kesari
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जानिए राकेश टिकैत कब घर वापिस जाएंगे, अभी अन्नदाताओं को लौटने में 4-5 दिन का समय लगेगा

ट्रैक्टरों के बड़े-बड़े काफिलों के साथ पिछले साल नवंबर में दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे आंदोलनरत किसानों ने

ट्रैक्टरों के बड़े-बड़े काफिलों के साथ पिछले साल नवंबर में दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे आंदोलनरत किसानों ने शनिवार की सुबह अपने-अपने गृह राज्यों की तरफ लौटना शुरू कर दिया। साल भर से ज्यादा वक्त तक अपने घरों से दूर डेरा डाले हुए ये किसान अपने साथ जीत की खुशी और सफल प्रदर्शन की यादें लेकर लौट रहे हैं। 
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 गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश ने कही ये बात 
इस बीच गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का एक बड़ा समूह कल सुबह आठ बजे यह क्षेत्र खाली कर देगा। आज की बैठक में हम बात करेंगे और  प्रार्थना करेंगे। इसके साथ ही उन लोगों से मिलेंगे जिन्होंने हमारी मदद की। किसान भाइयों ने घर वापसी शुरू कर दी है। इसमें 4-5 दिन लगेंगे । मैं यहां से 15 दिसंबर को निकलूंगा।
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सीमाओं पर राजमार्गों पर नाकेबंदी हटा दी 
किसानों ने सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर राजमार्गों पर नाकेबंदी हटा दी और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए एक समिति गठित करने सहित उनकी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र के लिखित आश्वासन का जश्न मनाने के लिए एक ‘विजय मार्च’ निकाला।
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 रंगीन पगड़ियां बांधे बुजुर्ग युवाओं के साथ नृत्य करते नजर आए
एक सफल आंदोलन के बाद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों के अपने घरों के लिए रवाना होने के साथ ही भावनाएं उत्साह बनकर उमड़ने लगीं। रंग-बिरंगी रोशनी से सजे ट्रैक्टर जीत के गीत गाते हुए विरोध स्थलों से निकलने लगे और रंगीन पगड़ियां बांधे बुजुर्ग युवाओं के साथ नृत्य करते नजर आए।
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आंदोलन का विजयी परिणाम और भी बड़ा है
पंजाब के मोगा निवासी किसान कुलजीत सिह ओलाख ने घर लौटने को उत्सुक अपने साथी किसानों के साथ सफर शुरू करने से पहले कहा, “सिंघू बॉर्डर पिछले एक साल से हमारा घर बन गया था। इस आंदोलन ने हमें (किसानों को) एकजुट किया, क्योंकि हमने विभिन्न जातियों, पंथों और धर्मों के बावजूद काले कृषि कानूनों के खिलाफ एक साथ लड़ाई लड़ी। यह एक ऐतिहासिक क्षण है और आंदोलन का विजयी परिणाम और भी बड़ा है।”गाजीपुर सीमा पर एक किसान जीतेंद्र चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने घर लौटने के लिए अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली तैयार करने में व्यस्त थे। उन्होंने कहा कि वह सैकड़ों अच्छी यादों के साथ और ‘काले’ कृषि कानूनों के खिलाफ मिली जीत के साथ घर जा रहे हैं।
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आज किसान विजय दिवस’ के रूप में मना रहे हैं
किसान 11 दिसंबर को ‘विजय दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।इन कानूनों को निरस्त करने के लिए 29 नवंबर को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था। हालांकि, किसानों ने अपना विरोध समाप्त करने से इनकार कर दिया और कहा कि सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करे जिसमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी और उनके खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले वापस लेना शामिल है।
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जैसे ही केंद्र ने लंबित मांगों को स्वीकार किया, आंदोलन की अगुवाई कर रही, 40 किसान यूनियनों की छत्र संस्था, संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया और घोषणा की कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर विरोध स्थलों से घर वापस जाएंगे।किसान नेताओं ने कहा कि वे यह देखने के लिए 15 जनवरी को फिर मुलाकात करेंगे कि क्या सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया है।
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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।