केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता रेहाना फातिमा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। पथानमथिट्टा पुलिस ने राधाकृष्ण मेनन की शिकायत के आधार पर इस कार्यकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मेनन ने आरोप लगाया था कि कार्यकर्ता के कुछ फेसबुक पोस्ट ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।
रेहाना फातिमा के खिलाफ भारतीय दंड सहिंता की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। रेहाना सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अक्टूबर में मासिक पूजा के लिए मंदिर खुलने पर इसमें प्रवेश का प्रयास करके चर्चाओं में आई थीं।
गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए कार्यकर्ता ने अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका हाई कोर्ट में दायर की। जमानत याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि पुलिस इस मामले में उचित कदम उठा सकती है।
एमजेसी ने रेहाना फातिमा को निष्कासित किया
नैतिकता की तथाकथित ठेकेदारी के खिलाफ 2014 में कोच्चि में ‘किस ऑफ लव’ प्रदर्शन में भाग लेने वालीं मॉडल और कार्यकर्ता रेहाना फातिमा उन दो महिलाओं में शामिल थीं जो 19 अक्टूबर को पर्वत की चोटी पर पहुंचे थे लेकिन उन्हें अयप्पा भक्तों द्वारा विरोध प्रदर्शन के बाद गर्भ गृह पहुंचने से पहले वापस लौटना पड़ा था।
इस बीच, हाई कोर्ट ने पम्बा के पास नीलक्कल में पिछले महीने मासिक पूजा के लिए मंदिर के दरवाजे खोले जाने पर भक्तों को रोकने और पुलिस पर कथित रूप से हमला करने के लिए गिरफ्तार 6 लोगों को जमानत दे दी।