प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर काबू पाने में नाकाम केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह दिल्ली की जहरीली हवा को साफ करने में असफल रही है और सर्वोच्च न्यायालय ने जो टिप्पणी की है, उस पर अमल नहीं किए जाने पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार को शर्म आनी चाहिए।
न्यापालिका के हस्तक्षेप करने का मतलब स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री दिल्ली का शासन चलाने में पूरी तरह से फेल हो चुके हैं और जो सरकार फेल है उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को लगी फटकार इस बात का परिचायक है कि सरकार प्रदूषण को लेकर गम्भीर नहीं है। प्रदूषण की वजह से अस्पतालों में मरीजों का बोझ बढ़ता ही जा रहा है।
57 महीने के अपने कार्यकाल में केजरीवाल सरकार ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर कभी भी आपात बैठक नहीं बुलाई है। हम मुख्यमंत्री से पूछना चाहते हैं कि वो किसके भरोसे दिल्ली की जनता को छोड़ दिया है, जनता ने आम आदमी पार्टी को अपार जनादेश देकर सत्ता के शीर्ष पर इसलिए बैठाया था कि उनकी समस्याओं का समाधान हो, लेकिन समाधान तो दूर उन्हीं के पैसों का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्री ने अपना राजनीतिक चेहरा चमकाने का पूरा प्रयास किया है।
पर्यावरण सेस का 1500 करोड़ रुपया प्रदूषण से निपटान के लिए क्यों नहीं खर्च किया गया। यदि समय रहते उपाय किए गए होते तो आज विनाशकारी स्थिति उत्पन्न नहीं होती।