नई दिल्ली : राजनीतिक हलकों में चर्चा गर्म है कि दिल्ली में यदि सीलिंग की सुनामी चलती रही तो हजारों दुकाने बंद हो जाएगी। कारोबार से जुड़े लोगों को बेरोजगारी का अजगर निगल जाएगा। हकीकत यह है कि दिल्ली के सांसदों, सीएम केजरीवाल, विधायकों व पार्षदों व कांगेस के लिए ये कार्रवाई राजनीतिक आधार पर खासी महंगी पड़ सकती है। खौफजदा लोग भाजपा, कांग्रेस तथा आप के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। चर्चा गर्म है कि दिल्ली में दुकानों की सीलिंग से उत्पन्न खौफ व आक्रोश के चलते पीडि़त व्यापारी वर्ग अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यहां गुहार करेगा। सातों दिल्ली के सांसदों, सीएम व विधायकों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ आवाज बुलन्द करने की जुर्रत नहीं इसलिए दुकानदार अब सड़कों पर उतर सकते हैं।
सीलिंग पर रोक के लिए व्यापारी संगठन पुन: सुप्रीम कोर्ट में याचना करने की भी तैयारी में जुटे हैं। इस बीच लालकिले के सामने स्थापित लाजपतराय रेडियो मार्केट में भी सीलिंग के कारण हालात बिगड़ रहे हैं। व्यापारी नेताओं चमनलाल मारवाह व देवराज बावेजा के अनुसार देश के प्रथम प्रधानमंत्री प. जवाहर लाल नहेरू ने विभाजन के समय पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को लाजपतराय मार्केट अलॉट की थी। पाक से उजड़ कर आए लोगों ने खासी मेहनत करके इस मार्केट को एशिया की सबसे बड़ी रेडियों इलेक्ट्रॉनिक्स का दर्जा देने का काम किया बाद में परिवार बढ़ते गए तथा ऊपर की मंजिलें भी बना दी गयी।
दुकानदारों का कहना है कि जिसे अवैध निर्माण कहा गया वह अफसरों की शह पर हुआ दुकानदारों पर हंटर चल रहा है किन्तु अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ये मार्केट पुनर्वास नीति के तहत आवंटित की गयी सभी कारोबारी संपत्ति करके अलावा लाइसेंस तथा अन्य करों का भुगतान करते हैं। क्रेमा के केके लोनियन का कहना है कि शारणार्थी पुन: शरणार्थी हो गए हैं। हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में अगले आदेश तक लाजपतराय मार्केट में किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
क्रेमा ने 7 साल पहले बाजार के पुनविकास के लिए सरकार व नगर निगम को प्रस्ताव दिया था परन्तु अभी तक फाईल धूल फांक रही हैं। क्रेमा के प्रधान जगवीर बीरा व दीपक बजाज का कहना है कि पीएम मोदी से मांग की जाएगी कि वह प्रभावी कदम उठाएं। भूखों मरने की नौबत से पहले अगर सीलिंग रुकी नहीं तो अरबों रुपए का व्यापार चोपट हो जाएगा। सरकार को राजस्व की भी भारी हानि होगी।
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– दिनेश शर्मा