नई दिल्ली: डेंगू के मरीज के इलाज में 16 लाख के भारी भरकम बिल बनाने के मामले में गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल के बाद अब मेदांता पर भी गाज गिरने वाली है। इस मामले में एनपीपीए ने संज्ञान ले लिया है। इस मामले में राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने फोर्टिस को पहले ही नोटिस भेज रखा है। एनपीपीए के एक वरिष्ठ अधिकारी की माने तो अथॉरिटी ने अब इस मामले में संज्ञान ले लिया है। फोर्टिस की तरह मेदान्ता से भी इलाज से संबंधित सभी कागज मगाएं जाएंगे। इसके बाद उनकी जांच की जाएगी जिसमें देखा जाएगा इलाज में इस्तेमाल सभी दवाएं और प्रक्रियाएं निर्देशों के अनुसार हैं या नही।
अगर जांच में अनियमितताएं पाई गईं तो अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी हो सकती है। बता दें कि ग्वालियर निवासी गोपेन्द्र सिंह ने अपने सात वर्षीय बेटे शौर्य को मेदांता में डेंगू के इलाज के लिए भर्ती किया था। अस्पताल में 22 दिनों तक चले महंगे इलाज के एवज में गोपेन्द्र सिंह को अपना मकान तक गिरवी रखना पड़ा। लेकिन इसके बाद भी शौर्य को ठीक नही किया जा सका। अस्पताल द्वारा 15.68 लाख का बिल वसूले जाने के बाद जब शौर्य के पिता और पैसों का इंतजाम न कर सके तो उसे आरएमएल में दाखिल कराया गया। शौर्य के इलाज पर खर्च हुए 15.68 लाख रुपए के बिल में 7.24 लाख रुपये सिर्फ दवाओं के शामिल हैं।
इस लिहाज से बच्चे को रोजाना 32 हजार रुपये की दवाई दी गई। वहीं आईसीयू रूम का चार्ज 2.86 लाख रुपये वसूला गया जो प्रतिदिन 13 हजार रुपये बनता है। इन 22 दिनों में 85 बार बच्चे को अस्पताल के कई डॉक्टरों ने देखा। डॉक्टर ने हर विजिट के 750 रुपये लिये। लैब टेस्ट के नाम पर भी डेढ़ लाख से ज्यादा वसूले गये। एनस्थीसिया और क्रिटिकल केयर के अलग से 1.22 लाख रुपये लिए गये। इतना ही नहीं बाजार में एक थर्मामीटर जो 20 रुपये में मल जाता है, उसके लिए 350 रुपये लिये गये। गौर करने वाली बात यह है कि अस्पताल ने इस बिल में 20 हजार रुपये का डिसकाउंट भी दिया गया लेकिन इतना महंगा इलाज भी शौर्य को नहीं बचा सका।