देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को बीजापुर अतिथि गृह में भारतीय भाषा अभियान उत्तराखण्ड एवं विधि आयोग उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वाधान में हिंदी पखवाड़ा के तहत उत्तराखण्ड के न्याय अधिकारियो के साथ आयोजित विचार-विमर्ष गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि लोकतन्त्र में लोक व लोक भावनाएं सर्वोच्च है। भारतीय भाषा अभियान के तहत हिन्दी व अन्य मातृ भाषाओं के प्रचार प्रसार के लिए किए जा रहे कार्य भारत की आत्मा को जागृत करने का प्रयास है। जीवन में मातृ भाषाओं का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है।
हम अपनी वास्तविक व गहरी मानवीय संवेदनाएं व भावनाएं अन्य भाषाओं में व्यक्त नहीं कर सकते। राज्य सरकार की ओर से हिन्दी व मातृ भाषाओं के संरक्षण व प्रोत्साहन हेतु हर संभव सहायता व सहयोग दिया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि भारतीय भाषा अभियान की इस विचार विमर्ष गोष्ठी के परिणामस्वरूप विचारों, सुझावों पर सरकार द्वारा गम्भीरता से विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य विधि आयोग द्वारा राज्य सरकार को दण्ड प्रक्रिया संहिता 438 (सीआरपीसी 438) को पुनर्जीवित करने सम्बन्धित रिपोर्ट सौंप दी गई है।
न्यायालय में मातृभाषा का उपयोग होना चाहिए : उपराष्ट्रपति
राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने दिव्य हिमगिरि हिन्दी के विकास में हिमवंत का योगदान पुस्तक का विमोचन भी किया। इस अवसर पर न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह वर्मा, अध्यक्ष राज्य विधि आयोग न्यायमूर्ति राजेश टण्डन, अध्यक्ष राज्य उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग न्यायमूर्ति ब्रहम सिंह वर्मा, न्यायमूर्ति सर्वेश टंडन एवं अन्य न्याय अधिकारी व अधिवक्ता उपस्थित थे।
– सुनील तलवाड़