नई दिल्ली: बसों की कमी से जूझ रही दिल्ली को अगले वर्ष होली तक ही राहत मिलने की उम्मीद है। संभावना की जा रही है कि मार्च के अंतिम सप्ताह से बसों की डिलीवरी शुरू होगी। हालांकि दिल्ली परिवहन निगम को बसों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। दिल्ली परिवहन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विभाग पहले कलस्टर बसों को लाएगी, उनके बाद ही डीटीसी के तहत बसें आ पाएगी। सूत्र बताते हैं कि बसों को लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्द ही टेंडर सहित अन्य कार्य को पूरा कर दिया जाएगा। सरकार कलस्टर बस सेवा में एक हजार और डीटीसी के तहत एक हजार ला रही है।
घट रही बसों की सुविधा… दिल्ली में चल रही लो फ्लोर (एसी-नोन एसी) बसों की सुविधाएं लगातार घट रही है। इनमें से कई बसों की हालत खस्ता हो चुकी है। परिवहन विभाग के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में 2008 से लो फ्लोर बसों को लाना शुरू कर दिया गया था। 2010 तक दिल्ली में सभी बसें आ गई थीं। यह बसें सात से दस साल पुरानी हो चुकी हैं और इनकी क्षमता के अनुसार दिल्ली में चलाने की अवधि भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है। ऐसे में आने वाले कुछ वर्षों में इन सभी बसों को बदलना पड़ सकता है। इसके लिए सरकार को अभी से 10 हजार बसों के लिए प्रयास शुरू करने चाहिए। बता दें कि दिल्ली में करीब चार हजार डीटीसी के तहत बसें हैं। इनमें से कुछ बसें खराब होने के कारण सड़कों पर उतर नहीं पाती। वहीं कलस्टर के तहत करीब 1600 बसें हैं। इनमें भी कई बसें पुरानी होने के कारण सड़कों पर दम तोड़ देती हैं।
डीटीसी नहीं बढ़ा रही किराया… दिल्ली में डीटीसी का किराया नहीं बढ़ाया जा रहा। मेट्रो के बाद दिल्ली परिवहन निगम के किरायों को लेकर चल रहे विवाद के बाद परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने स्पष्ट कहा कि डीटीसी के किराये बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। किराया बढ़ाने की बात का कोई आधार नहीं है। सरकार डीटीसी का किराया बढ़ाने नहीं जा रही है। किराया वृद्धि को लेकर झूठ बोला जा रहा है।
एलजी ने मांगा स्पष्टीकरण
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पर्यावरण सेस के इस्तेमाल को लेकर परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से स्पष्टीकरण मांगा है। बता दें कि दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने एलजी को ज्ञापन सौंप मांग की थी कि दिल्ली सरकार ने पर्यावरण सेस के तौर पर जमा किए एक हजार करोड़ से अधिक राशि का इस्तेमाल क्यों नहीं किया।
– राकेश शर्मा