धर्मशाला : 9 अप्रैल 2018 को नूरपुर निजी स्कूल बस हादसे में अपने लाडलों को खो चुके लोगों के सब्र का बांध आखिर टूटता नजर आ रहा है। दर्जन से ज्यादा बच्चों के परिजन सोमवार को नम आंखों के साथ दंडवत होकर कांगड़ा के डीसी दफ्तर पहुंचे। बच्चों के पेरेंट्स सिर्फ इतना चाहते हैं कि इस हादसे का कारण क्या था और जिस जगह हादसा हुआ, उस जगह आठ लाख से बने डंगे के गिरने का जिम्मेदार कौन है।
5 महीने से इन सवालों का जवाब नहीं मिला तो सोमवार को बुजुर्ग दादा-दादी, लाडलों को खो चुकी माएं और पिता धर्मशाला शहर की सड़काें पर 200 मीटर तक सड़क पर नाक रगड़ते हुए डीसी संदीप कुमार के पास पहुंचे। यहां भी जब आश्वासन मिलने लगे तो दुखी मांओं ने डीसी से इंसाफ की बात रखी। परिजनों की मांग है कि मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए। परिजन पहुंचे तो हाथों में अपने बच्चों की फोटो थीं और आंखें नम थीं।
संदीप कुमार ने कहा कि वह उनके गम में शामिल हैं तो एक महिला के सब्र का बांध टूट गया और रोते हुए कहा कि साहब बस यह मत बोलना कि आप हमारे गम में शामिल हैं। यह अफसरों का तकिया कलाम बन गया है। अपने जिगर के टुकड़ों को खो कर सब कुछ झेलते हम हैं और तड़पते हम हैं। अफसर गाड़ी में बैठते ही हर गम को भूल जाते हैं। वहीं डीसी ने जब बच्चों की याद में स्मारक बनाने की बात की तब भी लोगों ने दो टूक जवाब दे दिया। लोगों ने कहा कि आप स्मारक रहने दीजिए साहब, स्मारक हमारे दिलों में उम्र भर रहेगा। बस आप न्याय दिला दीजिए। परिजनों ने बताया कि उनके पास तथ्य हैं लेकिन कोई ऐक्शन नहीं लिया जा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की रिपोर्ट अधकचरी है।