बीते दिनों दिल्ली में आई बारिश की बर्बादी से कई लोगो का जनजीवन प्रभवित हुआ ,दिल्ली वासियो के हालात तो ओर ज्यादा उस समय बिगड़े जब हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में पानी छोड़ा गया। राजधानी में नदी से सटे इलाके में घरो तक पानी पहुंच गया आलम ये हुआ की लोगो को अपने घर छोड़ कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी। शिविरों में लोगो की देख- भाल दिल्ली सरकार और दिल्ली आपदा प्रबंधन प्रधिकरण ने की । जहा उन्हेंने राहत शिविरों में रह रहे लोगो के लिए भोजन, चिकत्सा सहयता , स्वच्छता प्रावधान और आवश्यक दवाए प्रदान करने की लिए तत्काल उपाय करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। अब दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और डीडीएमए से एक जनहित याचिका पर दिल्ली यमुना बाढ़ में राहत शिविर में दी गई सुविधाओं पर रिपोर्ट मांगी है।
मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 सितंबर
जनहित याचिका के मुताबिक करीबन 25000 लोगो पर सीधे या किसी भी प्रकार से बाढ़ का असर हुआ है और राहत शिविरों में रह रहे लोग कठिन परिस्थितियो में है। न्यायमूर्ति सतीश चंदर शर्मा और न्यायमूर्ति सौरव बेनराजी की पीठ ने दिल्ली सरकार से एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट जमा करने को कहा और कहा कि याचिका का वास्तविक कारण है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 सितंबर को है।
सरकार लोगो की आर्थिक सहायता का निर्णय ले चुकी
दिल्ली सरकार की तरफ से पक्ष वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिका संबंधित अधिकारियों से बिना कोई संपर्क किए और अदालत की सुनवाई से पहले मीडिया में प्रसारित की गई थी। उन्होंने कहा कि सरकार प्रभवित लोगो को आर्थिक मदद करने का फैसला पहले ही ले चुकी है।
जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना संवैधानिक कर्तव्य
आकाश भट्टाचार्य द्वारा वकील केआर शियास के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी राज्य का प्रत्येक नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना संवैधानिक कर्तव्य है और व्यक्तियों का अस्तित्व केवल एक जानवर का अस्तित्व नहीं होना चाहिए जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्णयों की श्रृंखला में बताया है। शहरी बाढ़ मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, मानव जीवन सहित राज्य में वित्तीय और प्राकृतिक नुकसान से बचने के लिए राज्य सरकार प्राधिकरण द्वारा तैयारी और प्रारंभिक चरण की चेतावनी महत्वपूर्ण उपाय हैं। आपको बताते चले यहा जनहित याचिका कर्ता ने प्रतिवादी शब्द का प्रयोग दिल्ली सरकार और डीडीएमए के लिए किया है।
दिल्ली सरकार और डीडीएमए कर्तव्य में विफल
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उत्तरदाता पिछले 7 दिनों में यमुना नदी के तल पर आई बाढ़ से पीड़ित व्यक्तियों के जीवन और निजी संपत्ति की रक्षा करने के जिम्मेदारी का पालन करने में विफल रहे।याचिका में उत्तरदाताओं को दिल्ली के सभी राहत शिविरों में आवश्यक और गुणवत्तापूर्ण भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने और दिल्ली के प्रत्येक बाढ़ राहत शिविर में एक सामुदायिक रसोई शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में उत्तरदाताओं को राहत शिविरों में बाढ़ पीड़ितों के लिए साबुन और सैनिटाइजर आदि सहित स्वच्छता संबंधी सामान उपलब्ध कराने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।