नई दिल्ली : दिल्ली सरकार बनाम अधिकारियों की जंग कमजोर पड़ती दिख रही है। 19 फरवरी को मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ हुई बदसलूूकी के बाद दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसमें दास कैडर सबसे आगे रहा। यह कैडर आईएएस और दानिक्स अधिकारियों के साथ मिलकर विरोध कर रहा है। यही नहीं पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाहकार आशीष खेतान सहित अन्य के साथ दिल्ली सचिवालय में हुई मारपीट मामले में कथित तौर पर दास कैडर का ही नाम आया था। लेकिन अब यही कैडर विरोध-प्रदर्शन से दूर होता दिख रहा है।
दरअसल दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा में दास कैडर से संबंधित एक प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव के तहत दास कैडर की लंबे समय की मांग पूरी होती दिख है। ऐसे में कैडर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जब सरकार ने उनकी मांग को पूरा कर दिया तो विरोध करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। दास कैडर लंबे समय वेतन विसंगतियों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहा है। इस दौरान कैडर, पोस्ट सहित अन्य मांगे भी रखी गई थी जो काफी समय से लंबित थी।
अन्य सरकारों ने इस तरफ कभी ध्यान भी नहीं दिया लेकिन आप सरकार ने इस दिशा में काम किया है। बता दे कि दिल्ली सरकार में काम कर रहे दास कैडरों की संख्या (सभी ग्रेडों में) करीब आठ हजार है। जबकि आईएएस और दानिक्स अधिकारियों की संख्या करीब 250 के करीब हैं।
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