मसूरी : सांस्कृतिक संगठन पर्वतीय राज्य मंच ने प्रथम गढ़वाली भाषा दिवस का आयोजन किया गया। उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार गढ़वाली भाषा दिवस मनाया गया। इस मौके पर ख्याति प्राप्त लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि गढ़वाली समाज अगर खड़ा हो जाये तो भाषा कभी मर नहीं सकती। गढ़वाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। लाइब्रेरी स्थित एक होटल के सभागार में आयोजित गढ़वाली भाषा दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि ख्याति प्राप्त लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, प्रीतम भत्र्वाण, मदन डुकलान ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस मौके पर मंच के संस्थापक उत्तराखंडी फिल्मकार अनुज जोशी ने उत्तराखंड की सरकार को धिक्कारा व कहा कि उन्होंने लोक भाषा गढ़वाली और कुमाउंनी, की उपेक्षा की। उन्होंने कहा कि यूएनओ की रिपोर्ट के अनुसार आगामी 150 साल में गढ़वाली व कुमाउंनी भाषा 18000 विलुप्त भाषाआंे में शामिल हो जायेगी। इसलिए अगर गढवाली कुमाउंनी भाषा को बचाना है तो सभी को आगे आना होगा।
आज भी ताजा हैं मसूरी गोलीकांड के जख्म
गढवाली को पाठयक्रम में शामिल करना होगा। इस मौके पर गढवाली सिने अभिनेता साहित्यकार मदन डुकलान ने कहा कि गढवाली भाषा को बचाने का यह पहला प्रयास राज्य आंदोलन के तहत मसूरी गोलीकांड के दिन किया गया है इसी तरह कुमाउं में एक सितंबर को कुमाउं भाषा के लिए कार्यक्रम किया गया।