सीबीआई की विशेष अदालत ने लगभग एक करोड़ रुपए के अलकतरा घोटाला मामले में 26 वर्ष बाद गुरुवार को पूर्व मंत्री मोहम्मद इलियासी और दो अन्य को चार वर्ष के सश्रम कारावास एवं 4 लाख तथा 6 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा ने इस मामले में बिहार के तत्कालीन सड़क निर्माण मंत्री मोहम्मद इलियासी, उसके निजी सचिव मोहम्मद सहाबुद्दीन बेग को चार-चार वर्ष बामशक्कत कैद एवं चार-चार लाख जुर्माने की सजा सुनाई। इस मामले में जेपी अग्रवाल को अदालत ने चार वर्ष कैद एवं 6 लाख जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआई ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में सीबीआई ने आरोप पत्र 26.07.2003 को दायर किया था। इससे पहले 24 सितम्बर को पूर्व पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन समेत आठ आरोपियों के बयान सीबीआई कोर्ट में दर्ज हुए। 15 सितम्बर को इस मामले में अभियोजन साक्ष्य बंद हो गया था। सीबीआई की ओर से अंतिम गवाह के रूप में मामले के जांच अधिकारी अनिल कुमार सिंह की कोर्ट में गवाही हुई। सीबीआई ने कुल 45 गवाहों को पेश किया।
यह मामला करीब 375 मीट्रिक टन अलकतरा की गड़बड़ी का था। इससे सरकार को 18 लाख रुपये के राजस्व की हानि हुई थी। इस मामले में पूर्व मंत्री इलियास हुसैन, उनके निजी सचिव सहाबु्द्दीन बेग, सहायक अभियंता शोभा सिन्हा, पीएंडटी के निदेशक केदार पासवान, उपनिदेशक मुजताबा अहमद समेत आठ लोग आरोपी थे।
वर्ष 1992 से लेकर 1994 के बीच पथ निर्माण विभाग द्वारा चतरा में हल्दिया वाया बरौनी अलकतरा का ट्रांसपोर्टेशन करना था। लेकिन, 375 मीट्रिक टन का ट्रांसपोर्टेशन नहीं हुआ। इससे बिहार सरकार को करीब 18 लाख रुपये के राजस्व की हानि हुई थी। इसके बाद सीबीआई ने वर्ष 1997 में घोटाले को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी।
सीबीआई ने प्राथमिकी में पूर्व मंत्री इलियास हुसैन, मंत्री के निजी सचिव शहाबुद्दीन और जनार्दन प्रसाद को आरोपित किया था। घोटाले को लेकर सीबीआइ ने कुल 45 गवाहों को अदालत में पेश किया।
वर्ष 1994-95 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में 39 लाख रुपये का अलकतरा घोटाला मामले में पटना की सीबीआई की अदालत ने पिछले साल जून माह में बरी कर दिया था। यह मामला सुपौल से जुड़ा हुआ था, जहां 39 लाख रुपये के अलकतरा का घोटाला सामने आया था।