मध्यप्रदेश : खरमोर को रिझाने वन विभाग ने उगायीं फसलें - Punjab Kesari
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मध्यप्रदेश : खरमोर को रिझाने वन विभाग ने उगायीं फसलें

वन विभाग ने अनोखे प्रयोग के तहत सरदारपुर अभयारण्य क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर कुल मिलाकर 30 हेक्टेयर

इंदौर : यह खबर पक्षीप्रेमियों को प्रसन्न कर सकती है कि वजूद के गंभीर खतरे से जूझ रहे खरमोर (लेसर फ्लोरिकन) की अनुमानित आबादी मध्यप्रदेश में दोगुनी बढ़कर 40 पर पहुंच गयी है। इसके लिये वन विभाग ने मेहमान परिंदे की प्राकृतिक बसाहटों के संरक्षण के वास्ते सख्त कदम उठाने के साथ मूंग और उड़द की बुआई जैसे नवाचारी प्रयोग किये हैं। पड़ोसी धार जिले के सरदारपुर क्षेत्र में 34,812 हेक्टेयर में फैले खरमोर अभयारण्य के अधीक्षक और वन महकमे के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) राकेश कुमार डामोर ने रविवार को बताया, हमारे अभयारण्य में इस बार छह नर और पांच मादा खरमोरों को देखा गया है।

पिछले साल इस अभयारण्य में केवल एक नर खरमोर नजर आया था। उन्होंने बताया, प्रजनन के दौरान खरमोर अपना घोंसला बनाने के लिये ग्रास लैंड (एक से डेढ़ फुट ऊंची हरी घास वाले क्षेत्र) को चुनता है। इसके मद्देनजर हमने गश्त बढ़ाने के साथ अभयारण्य क्षेत्र में आस-पास के गांवों के मवेशियों की चराई पर सख्ती से रोक लगायी है। इसके साथ ही, कुछ ऐसे रास्तों को बंद कर दिया गया है जो खरमोर की बसाहटों की ओर जाते हैं। डामोर ने यह भी बताया कि खरमोर को आकर्षित करने के लिये वन विभाग ने अनोखे प्रयोग के तहत सरदारपुर अभयारण्य क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर कुल मिलाकर 30 हेक्टेयर में मूंग और उड़द की फसलें बोई हैं। इन फसलों पर लगने वाले कीड़े और इल्लियां खरमोर का पसंदीदा भोजन हैं।

लिहाजा इन पर कीटनाशकों का छिड़काव नहीं किया जा रहा है, ताकि प्रवासी पक्षी को प्रचुर मात्रा में आहार मिलता रहे। बहरहाल, सरदारपुर क्षेत्र में खरमोर की आबादी बढ़ना इस संकटग्रस्त पक्षी प्रजाति के संरक्षण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) ने वर्ष 2017 के सर्वेक्षण के आधार पर इस इलाके को खरमोर की उन प्राकृतिक बसाहटों में शामिल किया है, जहां इस मेहमान परिंदे के वजूद पर सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

मध्यप्रदेश में वन विभाग के साथ मिलकर खरमोर के संरक्षण के लिये वर्षों से सक्रिय पक्षी विज्ञानी अजय गड़ीकर ने बताया कि सरदारपुर अभयारण्य के 11 खरमोरों के अलावा नीमच जिले के जीरन क्षेत्र में 16, झाबुआ जिले के पेटलावद क्षेत्र में नौ और रतलाम जिले के सैलाना क्षेत्र में चार खरमोर देखे गये हैं। यानी सूबे में इनकी अनुमानित तादाद कुल मिलाकर 40 पर पहुंच गयी है। गड़ीकर ने बताया कि पिछले साल राज्य के अलग-अलग स्थानों पर कुल 22 खरमोरों को देखा गया था।

खरमोर अपने वार्षिक हनीमून के तहत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में हर साल जुलाई-अगस्त में पहुंचते हैं और तीन-चार महीनों के लिये डेरा डालते हैं। प्रजनन के बाद ये मेहमान परिंदे अनजान ठिकानों की ओर रवाना हो जाते हैं। डब्ल्यूआईआई की अगुवाई में किये गये वर्ष 2017 के राष्ट्रीय स्थिति सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि प्राकृतिक बसाहटों के तेजी से उजड़ते जाने के कारण खरमोरों पर विलुप्ति का गंभीर संकट मंडरा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल खरमोरों की अनुमानित आबादी कम से कम 264 पक्षियों के स्तर पर पायी गयी थी।

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