तीन माह के मासूम के साथ धरने पर महिला गेस्ट टीचर - Punjab Kesari
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तीन माह के मासूम के साथ धरने पर महिला गेस्ट टीचर

गेस्ट टीचर्स की समस्या जस से तस बनी हुई है। इतने दिनों में अपनी मांगों को पूरा करवाने

नई दिल्ली : आधा महीना बीतने को है लेकिन गेस्ट टीचर्स की समस्या जस से तस बनी हुई है। इतने दिनों में अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए गेस्ट टीचर्स के धरना प्रदर्शन करने की जगह तो बदली है, पर अब तक इस मामले में न तो सरकार और न ही उप राज्यपाल के रवैये में कोई बदलाव आया है। जहां सरकार उप राज्यपाल को 60 साल की पॉलिसी संबंधी फाइल भेजने की बात कह रही है तो वहीं उप राज्यपाल कार्यालय की तरफ से ऐसी कोई फाइल न मिलने का हवाला दिया जा रहा है।

हां केवल दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने यह आश्वासन जरूर दिया है कि 31 अगस्त तक गेस्ट टीचर्स की सेवा बहाल कर दी गई है, लेकिन इसकी भी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है। इस सबसे परे सुरक्षित नौकरी की मांग को लेकर बुधवार को एक महिला गेस्ट टीचर्स अपने तीन माह के मासूम बच्चे को लेकर धरने प्रदर्शन में बैठी नजर आई।

आप नेता ने पीएम को लिखा पत्र गेस्ट टीचर्स के नियमितीकरण की मांग को लेकर आम आदमी पार्टी(आप) के वरिष्ठ नेता व उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोकसभा प्रत्याशी दिलीप पांडेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे अतिथि अध्यापकों को स्थाई करने के लिए दिल्ली सरकार ने उप राज्यपाल को दो बार अलग-अलग प्रस्ताव भेजें हैं। इसके बावजूद अब तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। पत्र में पांडेय ने प्रधानमंत्री से जल्द उप राज्यपाल को कैबिनेट के निर्णय पर सहमति देने के निर्देश देने की अपील की है।

भेजे जा रहे नोटिस
अनुबंध खत्म होने के बाद एक तरफ गेस्ट टीचर्स बेरोजगार होकर सड़कों पर हैं, वहीं दूसरी ओर स्कूलों द्वारा उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर ड्यूटी पर न आने का कारण बताने के लिए कहा है। ज्ञात हो कि बीते दिनों शिक्षा निदेशालय एक सर्कुलर जारी कर सभी स्कूल प्रमुखों को गेस्ट टीचर्स को 31 मार्च तक सेवा जारी रखने के निर्देश देने के लिए कहा था।

खून से लिखेंगे मांग पत्र
दिल्ली भाजपा कार्यालय के बाहर धरने प्रदर्शन पर बैठे गेस्ट टीचर्स ने बुधवार को ऐलान किया है कि वे आज पत्र पर खून से अपनी मांगें लिखेंगे। ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी शोएब राणा का कहना है कि केवल बैठक कर उन्हें आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन अब वे तभी सेवा पर लौटेंगे जब सुरक्षित नौकरी की पॉलिसी यानी 60 साल वाली पॉलिसी लागू की जाएगी।

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