लोकसभा में दिल्ली दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा हो रही है। चर्चा शुरु करते ही हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली एक संघ शासित प्रदेश है और संसद को कानून बनाने का अधिकार है। शाह ने आप सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, 1993 में से मुद्दा है, लेकिन कभी केंद्र और राज्य सरकार के बीच में ऐसी परिस्थितियां नहीं आई, केंद्र में कभी भाजपा की सरकार रही, तो राज्य में कांग्रेस की रही, केंद्र में कभी कांग्रेस की रही तो दिल्ली में बीजेपी की रही, तब कभी लड़ाई झगड़ा नहीं हुए, बीजेपी ने कांग्रेस के साथ झगड़ा नहीं किया, कांग्रेस ने बीजेपी के साथ कोई झगड़ा नहीं किया।
अमित शाह ने दिल्ली को राज्य का दर्ज नहीं देने को लेकर दिए उदाहरण
अमित शाह ने कहा कि पहले कई बड़े नेताओं जैसे पंडित नेहरू, पटेल और राजेंद्र प्रसाद, डॉ. अंबेडकर ने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का अधिकार देने का विरोध किया था। शाह ने कहा कि दिल्ली पर कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। अमित शाह ने कहा, जब बिल पेश किया गया तो कुछ विरोध हुआ, कहा गया कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है. अमित शाह ने कहा कि कि मैं विपक्षी सांसदों से कहना चाहता हूं कि आपने वही पढ़ा है जो आपके अनुकूल हो, आपको निष्पक्षता तरीके से सारी बात सदन के सामने रखनी चाहिए, अमित शाह ने कहा, दिल्ली अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है।
आप सरकार पर बोला हमला
शाह ने कहा, लेकिन साल 2015 में दिल्ली में एक आप पार्टी सत्ता में आई जिसका मकसद सिर्फ लड़ना था, जनता की की सेवा करना नहीं, दिक्कत ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार मिलने को लेकर नहीं है, बल्कि अपने आवास बनाने जैसे भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए सतर्कता विभाग पर कब्जा करना है, अमित शाह ने कहा, मेरा सभी पक्ष से निवेदन है कि चुनाव जीतने के लिए किसी पक्ष का समर्थन या विरोध करना, ऐसी राजनीति नहीं करनी चाहिए, नया गठबंधन बनाने के अनेक प्रकार होते हैं, बिल और कानून देश की कल्याण के लिए लाया जाता है इसलिए इसका विरोध और समर्थन दिल्ली की जनता के लिए करना चाहिए।