नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने मंगलवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप नेता सौरभ भारद्वाज से कहा कि वे दिल्ली सरकार द्वारा बनाए जा रहे क्लास रूम की लागत को लेकर तथ्यों को तोड़ मरोड़कर जनता को गुमराह न करें। दरअसल मनीष सिसोदिया ने सौरभ भारद्वाज को पुनः ट्वीट किया जिसमें उन्होंने बताया कि भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम स्कूल में 43 क्लास रूम 10,73,80,000 रूपये की लागत से बनाये जा रहे हैं।
साथ ही कहा कि इस प्रकार एक क्लास रूम के निर्माण की लागत 24.97 लाख रूपये आएगी। वे दिल्ली भाजपा प्रमुख द्वारा लगाये गये उस आरोप की ओर इशारा कर रहे थे जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार द्वारा निर्माणाधीन लागत 24.86 लाख रूपये आ रही है। गुप्ता ने कहा कि एक नस्लीय घोड़े की खच्चर से तुलना नहीं की जा सकती। आप नेता उन दो चीजों की तुलना कर रहे हैं, जो अतुलनीय हैं।
दिल्ली नगर निगम दोमंजिला पक्के स्कूल बिल्डिंग का निर्माण करने जा रहा है जिसमें 30 कमरे, 2 स्टोर रूम, 2 कार्यालय कक्ष, 2 लाइब्रेरी कक्ष, 3 कमरों के बराबर एक बड़ा हाल, 2 विज्ञान कक्ष तथा टायलेट ब्लाक होंगे। निगम के पक्के भवन की तुलना में दिल्ली सरकार जो क्लास रूम बना रही है, वे लाल पत्थर के स्लैब और टी-आयरन से निर्मित होंगे। ये सबसे सस्ती श्रेणी का निर्माण कार्य है। दिल्ली सरकार की लागत में भूकंप निरोधी उपाय, स्ट्रक्चरल सेफ्टी, रेनवाटर हार्वेस्टिंग तथा बाउंड्रीवाल इत्यादि की आवश्यकता नहीं है।
अतः इससे स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार द्वारा बनाये जा रहे कमरों की लागत निगम द्वारा बनाये जा रहे कमरों की लागत से कहीं अधिक है। विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि नये क्लास रूम बनाने के पीछे सरकार की दलील है कि इससे क्लासों में बच्चों की भीड़भाड़ (घनत्व) कम हो जाएगी। यदि सरकार की दलील मान भी ली जाए तो क्या नये क्लास रूमों के लिये अध्यापक या नया स्टाफ उपलब्ध है? अध्यापकों तथा प्रिंसिपलों की पहले से ही भारी कमी चल रही है तो ऐसे में नये क्लास रूम बनाने का औाचित्य क्या है?