धर्मेन्द्र प्रधान : जिन्होंने नवीन पटनायक के गढ़ को भेदने में भाजपा की ओर से कड़ी मेहनत की - Punjab Kesari
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धर्मेन्द्र प्रधान : जिन्होंने नवीन पटनायक के गढ़ को भेदने में भाजपा की ओर से कड़ी मेहनत की

ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी को 21 में से आठ लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त हुई। वर्ष 2014

करीब दो दशक पहले जब धर्मेन्द्र प्रधान पहली बार ओड़िशा में विधायक का चुनाव लड़ रहे थे तब उन्हें बहुत कम लोग जानते थे। उस समय ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भाजपा के सहयोगी दल का नेता होते हुए भी प्रधान को अपने लिए संभावित चुनौती के रूप में भांप लिया था। वह खतरा संभवत: 2019 में साकार होता दिखा है जब धर्मेन्द्र प्रधान ने ओडिशा में पटनायक के गढ़ में भाजपा के पैर जमाने में अहम भूमिका निभाई है।
 पूर्व केन्द्रीय भूतल परिवहन राज्य मंत्री देबेन्द्र प्रधान के पुत्र धर्मेन्द्र प्रधान ने मोदी सरकार की घरेलू रसोई गैस उपलब्ध कराने की सबसे बड़ी सामाजिक पहल-उज्ज्वला को आगे बढ़ाया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गरीब महिलाओं को रसोई गैस का कनेक्शनल निशुल्क उपलब्ध कराया गया। इस योजना के जरिये भारतीय जनता पार्टी को ग्रामीण क्षेत्र में अपना आधार मजबूत करने में काफी मदद मिली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल में पांच साल की अवधि में घरेलू रसोई गैस कनेक्शन की संख्या को दोगुने से भी अधिक बढ़ाकर 26 करोड़ तक पहुंचा दिया गया।
 इस दौरान प्रधान ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र ओडिशा को बनाये रखा और पेट्रोलियम क्षेत्र की कई परियोजनाओं को ओडिशा में पहुंचाया। वर्ष 2014 में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद प्रधान को महत्वपूर्ण माने जाने वाले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। 
जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। प्रधान व्यस्त कार्यक्रमों के बावजूद अपने गृह राज्य ओडिशा का बराबर दौरा करते रहे और बीजू जनता दल के गढ़ में लगातार भाजपा के आधार को मजबूत करने का काम करते रहे। उनकी कठिन मेहनत का ही फल रहा है कि ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी को 21 में से आठ लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त हुई। वर्ष 2014 में राज्य में भाजपा को मात्र एक सीट मिली थी। 
राज्य विधानसभा में भी भारतीय जनता पार्टी की सीटें पहले के 10 से बढ़कर इस बार 23 तक पहुंच गई। ओडिशा में लोकसभा चुनावों के साथ ही विधानसभा के भी चुनाव हुये हैं। प्रधान ने भारतीय जनता पार्टी की छात्र इकाई के कार्यकर्ता के तौर पर अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे।
 तब पटनायक ने जिनके लिये माना जाता है कि उनकी आंखे पहली नजर में ही सामने वाले व्यक्ति को भांप लेती हैं। तब उन्होंने धर्मेन्द्र प्रधान में अपने लिये संभावति खतरे को भांपा था। करीब दो दशक बाद मुख्यमंत्री ने जो समझा वह सही साबित होता दिखा है। प्रधान के नेतृतव में ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी अपने पांव जमाने में कामयाब होती दिख रही है। 

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