सीबीएसई की परीक्षा में 'पास' हो गई दिल्ली पुलिस - Punjab Kesari
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सीबीएसई की परीक्षा में ‘पास’ हो गई दिल्ली पुलिस

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नई दिल्ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का इकोनॉमिक्स का पेपर लीक करने वाले मुख्य तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर दिल्ली पुलिस ‘सीबीएसई की परीक्षा में पास’ हो गई है। पुलिस के लिए आरोपियों तक पहुंचना आसान काम नहीं था। शुरुआती जांच में ही पता चल गया था कि इकोनॉमिक्स का लीक पेपर वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से एक से दूसरी जगह फैला। दो दिन के भीतर ही पेपर जंगल में आग की तरह करीब डेढ़ हजार वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से लगभग दस हजार नम्बरों पर पहुंच गया। इस भीड़ में असली गुनहगाहरों तक पहुंचा पुलिस के लिए भूसे में सुई को ढूंढने के समान था।

71 नम्बर वाट्सएप ग्रुप से हुआ खुलासा… सीबीएसई ने 12वीं कक्षा का इकोनॉमिक्स और दसवीं कक्षा का मैथ्स का पेपर लीक होने की शिकायत क्राइम ब्रांच को दी। क्राइम ब्रांच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तेज तर्रार ऑफिसरों की विशेष इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया। पुलिस टीम ने सभी वाट्सएप ग्रुप को नम्बर देकर जांच शुरू कर दी। पुलिस की जांच 71वें नम्बर के वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से चंडीगढ़ और फिर हिमाचल पहुंची। यह ग्रुप चंडीगढ़ में चल रहा था। जिस पर हिमाचल प्रदेश से लीक पेपर भेजा गया था। जिसके बाद डीसीपी रामगोपाल नाइक की टीम हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में पहुंची। पता चला कि लीक पेपर सबसे पहले डीएवी स्कूल में अध्यापक राकेश कुमार के पास पहुंचा था।

उसे पेपर अमित और अशोक ने भेजा था। तफ्तीश में पता चला कि राकेश सीबीएसई की तरफ से ऊना जिला में ही जवाहर नवोदय विद्यालय सेंटर पर बतौर सुपरिटेंडेंट नियुक्त हैं। उनके पास स्थानीय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के स्ट्रांग रूम से सीबीएसई का पेपर उठाकर सेंटर तक ले जाने और फिर परीक्षा के बाद वापस बैंक में रखने की जिम्मेदारी थी। शुक्रवार 6 अप्रैल को भी वह सेंटर पर पेपर लेकर पहुंचे हुए थे। मगर पुलिस ने उसे उस वक्त गिरफ्तार नहीं किया। जब परीक्षा सम्पन्न हो गई और राकेश आंसरशीट्स को बैंक में जमा करने के बाद घर लौट रहा था। तभी पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया। जिसके बाद उसके साथियों को भी दबोच लिया। पुलिस ने इस मामले में एक महिला और छात्र का नाम गुप्त रखा है।

23 मार्च को किया था पेपर लीक
गिरफ्तारी के बाद राकेश ने खुलासा करते हुए बताया कि गत 23 फरवरी को कंप्यूटर साइंस का पेपर था। वह प्रश्न पत्र लेने बैंक के स्ट्रांग रूम में गया। जहां से इकोनॉमिक्स पेपर का एक बंडल भी साथ में निकाल लिया। रास्ते में उस बंडल को स्कूल में काम करने वाले अमित और अशोक को दे दिया और खुद कंप्यूटर साइंस का पेपर लेकर परीक्षा केंद्र पहुंच गया। अमित और आशोक ने बंडल की सील तोड़ी और उसकी फोटो खींचकर राकेश को वॉट्सएप कर दी। बाद में प्रश्न पत्र को हाथ से लिखकर लीक किया गया। ताकि कोई देख तो शक न हो और पकड़े भी न जाएं। बाद में बंडल को सील लगाकर बैंक में रख दिया था।

तो ऐसे हो गया बखेड़ा.. पुलिस सूत्रों का कहना है कि पेपर को सिर्फ एक छात्र के लिए लीक कराया गया। मगर राकेश ने अपनी भाभी को भी प्रश्न पत्र दे दिया। उसने आगे अपनी बहन को भेज दिया। उसने भी आगे अपने जीजा को सेंड कर दिया। उसने भी आगे अपने एक जानकार को भेज दिया। इस तरह रातों रात हाथ से लिखा प्रशन-पत्र आग की तरह लगभग डेढ़ हजार वाट्सएप ग्रुप में फैल गया। जिसके बाद 26 मार्च को ही एक पार्सल सीबीएसई हेडक्वाटर पहुंच गया। जिसमें इकोनॉमिक्स के पेपर की हाथ से लीखी चार फोटो थीं।

मैथ्स पेपर लीक आधी रह जाएगी जांच… सूत्रों का कहना है कि सीबीएसई के दो पेपर लीक मामले में दिल्ली पुलिस आधी पास हुई है। क्योंकि सीबीएसई दसवीं कक्षा का मैथ्स का पेपर दोबारा नहीं कराए जाने की बात कह चुका है। जबकि इकोनॉमिक्स के साथ मैथ्स का पेपर भी लीक हुआ था। मगर इस दिशा में पुलिस को अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिली है। सूत्रों का कहना है कि सीबीएसई ने भी निर्णय ले लिया है कि दसवीं मैथ्स विषय की परीक्षा दोबारा नहीं ली जाएगी। ऐसे में अब जांच का धीमा पड़ना भी लाजिमी है।

एक छात्र के लिए किया पेपर लीक!
मुख्य आरोपी राकेश कुमार, अमित शर्मा और अशोक की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने सिर्फ एक छात्र को परीक्षा में लाभ पहुंचाने की नीयत से पेपर लीक किया था। पुलिस का कहना है कि राकेश के पास 12वीं कक्षा का एक छात्र ट्यूशन पढ़ता था। मगर वह इकोनॉमिक्स में वीक था। उसे लाभ पहुंचाने के लिए ही राकेश ने अपने ही स्कूल के क्लर्क अमित और चपरासी अशोक की मदद ली। इसकी ऐवज में किसी को किसी भी तरह का कोई आर्थिक लाभ नहीं हुआ। मगर पुलिस की इस थ्योरी पर विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल है।

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