सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक आदेशों के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं होने पर सोमवार को पंजाब और हरियाणा को आड़े हाथों लिया और कहा कि वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने पराली जलाने पर प्रतिबंध के बाजवूद इन दो राज्यों में यह सिलसिला जारी रहने पर कड़ा रूख अपनाया ओर कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों का ‘दम घुट’ रहा है और लाखों लोगों की उम्र घट रही है।
पीठ ने कहा, ‘‘क्या आप लोगों से इस तरह व्यवहार करेंगे और उन्हें प्रदूषण के कारण जान गंवाने देंगे।’’ वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के दो औद्योगिक इकाईयों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) लगाने के दो आदेशों को रद्द कर दिया है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने इन इकाईयों को क्रमश: 42.6 लाख और 12.4 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था कि क्योंकि इन्हें उसकी इजाजत के बिना स्थापित किया गया था और संचालित किया जा रहा था। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने डीपीसीसी से कहा कि वह दोनों याचिकाओं पर विचार करे और इनके प्रतिवेदनों पर विचार के बाद ही कोई फैसला ले।
इन याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अमित चड्ढा और रितुपर्ण उन्नीयाल ने कहा कि डीपीसीसी ने कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया था और उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिये बगैर ही यह आदेश पारित कर दिया था। उन्होंने वायु अधिनियम और जल अधिनियम के प्रावधानों के तहत दिए गए डीपीसीसी के आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया था।