पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से दिल्ली-NCR की वायु गुणवत्ता 'अति गंभीर' - Punjab Kesari
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पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से दिल्ली-NCR की वायु गुणवत्ता ‘अति गंभीर’

पंजाब और हरियाणा में प्रतिबंध के बावजूद लगातार पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र

पंजाब और हरियाणा में प्रतिबंध के बावजूद लगातार पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की वायु गुणवत्ता बहुत ज्यादा बिगड़ गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) इंडिया के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 412 पर पहुंच गया है जो ‘अति गंभीर’ श्रेणी में आता है। 
आंकड़ों के अनुसार, पराली जलाए जाने से दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को धुंध और वायु प्रदूषण 35 प्रतिशत रहा, गुरुवार को इसके 24 प्रतिशत रहने का अनुमान था और शुक्रवार को इसके 25 प्रतिशत रहने का अनुमान है। फसल के अवशेषों को जलाने की अपेक्षा उन्हें उर्वरकों में बदलने के लिए जरूरी तकनीकों और मशीनरियों को खरीदने के लिए किसानों को केंद्र सरकार द्वारा 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान किए जाने के बावजूद पराली जलाए जाने की समस्या अभी भी है। 
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सरकार के एक सूत्र ने कहा कि किसानों को राज्य सरकारें सुविधाएं दे रही हैं, और पिछले कुछ सालों ने केंद्र ने इस पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। हरियाणा में सिरसा के एक किसान संजय न्योल ने कहा कि ज्यादातर किसान मशीनों का उपयोग कर पराली को मिट्टी में मिला देते हैं क्योंकि वे पराली जलाए जाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से परिचित हैं। लेकिन कुछ स्थानों पर पराली जलाए जाने की समस्या अभी भी है, और कार्रवाई भी की गई है। 
पर्यावरणविद् कहते हैं कि धुंध के लिए पराली जलाया जाना सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। धुंध ने पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर को ढंका हुआ है। टेरी के एक विशेषज्ञ सुमित शर्मा ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान सीजन में वायु प्रदूषण में बढ़ोत्तरी और धुंध का 30-60 प्रतिशत पराली जलाए जाने के कारण है। 

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।