दिल्ली उच्च न्यायालय ने CIMFR के निदेशक की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका अस्वीकार की - Punjab Kesari
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने CIMFR के निदेशक की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका अस्वीकार की

केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान, धनबाद में निदेशक पद पर नियुक्ति के लिए शार्टलिस्ट किए गए थे। इस

दिल्ली उच्च न्यायालय ने धनबाद के केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीआईएमएफआर) में निदेशक की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को अस्वीकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा कि याचिका में कोई आधार नहीं है और पीठ ने याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया। 
पीठ ने कहा कि रिट याचिका में यह उल्लेख नहीं किया गया है कि यह याचिकाकर्ता और प्रतिवादी नंबर 3 (मौजूदा निदेशक) केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान, धनबाद में निदेशक पद पर नियुक्ति के लिए शार्टलिस्ट किए गए थे। इस प्रकार यह तथ्य दबा दिया गया है। 
अदालत ने कहा कि इस मामले के तथ्यों से पता लगता है कि वैज्ञानिक-बी के रूप में नियुक्त होने के बाद मौजूदा निदेशक को पदोन्नति मिली और वह निदेशक के पद तक पहुंचे। 
पीठ ने कहा कि जनहित याचिका के रूप में यह रिट याचिका कानून के अनुसार मान्य नहीं है, खासकर जब जबकि इस तथ्य को दबा दिया गया था। तथ्यों से पता लगता है कि प्रतिवादी नंबर 3 के पास वैज्ञानिक बी के पद के लिए एमएससी की अपेक्षित डिग्री है। उसके बाद उन्हें एक के बाद एक पदोन्नति मिली है और वह अभी संस्थान के निदेशक हैं। वकीलों कावेरी बीरबल और इंद्रजीत सिन्हा मामले में वर्तमान निदेशक की ओर से पेश हुए। उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था 

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