तेजाब मामले में अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया
दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने हाल ही में एक व्यक्ति को 2017 में एक व्यक्ति और उसकी दो बेटियों पर तेजाब फेंकने के मामले में दोषी ठहराया। आरोप है कि दोषी ने पश्चिमी दिल्ली के ख्याला में पीड़ितों पर तेजाब फेंका, क्योंकि पिता ने उसे घर के आसपास घूमने के लिए डांटा था। अपने फैसले में, अदालत ने कहा कि तेजाब हमले का अमानवीय कृत्य दुनिया भर में तेजी से बढ़ा है और धर्म, लिंग और जाति से परे चला गया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अदिति गर्ग ने आरोपी राघव मुखिया को पीड़िता और उसकी दो नाबालिग बेटियों पर तेजाब फेंकने का दोषी ठहराया।
सारे आरोपों सही साबित हुए
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को संदेह से परे साबित कर दिया है। 8 नवंबर को पारित फैसले में एसिड अटैक को “जीवन भर के लिए निशान” कहा गया। एसिड अटैक केवल महिलाओं के खिलाफ ही नहीं बल्कि नाबालिग बच्चों के खिलाफ भी होते हैं और यह बदला लेने या गहरी दुश्मनी के कारण हो सकते हैं। अपराधी का उद्देश्य पीड़ित को मारना नहीं बल्कि उन्हें अपंग अवस्था में छोड़ना होता है, जिससे उनके दैनिक कार्य बाधित होंगे और इसके अलावा, समाज द्वारा अस्वीकार्य परिस्थितियाँ पैदा होंगी।”
अदालत ने इस मामले में क्या कहा ?
अदालत ने कहा कि मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार, 11 साल की एक लड़की लगभग 40 प्रतिशत गंभीर रूप से जल गई थी, जबकि 14 साल की दूसरी लड़की 20 प्रतिशत जल गई थी और आदमी को 10 प्रतिशत जलने के साथ साधारण चोटें आई थीं। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 18 फरवरी, 2017 को पीड़ितों पर एसिड से हमला करने के लिए राघव मुखिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। यह तर्क दिया गया कि राघव मुखिया को इस मामले में झूठा फंसाया गया था।
[Input from ANI]
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