राजधानी दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। हवा में घुलता जहर लोगों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रहा है। अगर आने वाले समय में हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ तो अगले कुछ दिनों में क्या हाल होगा इसका सहज अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट को लेकर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को कहा कि प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चारों तरफ से जो पराली का धुंआ आ रहा है वो तो हमारे नियंत्रण से बाहर है पर दिल्ली के अंदर पटाखों से प्रदूषण न हो इसलिए पटाखे बैन कर दिए हैं।
दिल्ली की हवा में घुलता जहर, वायु गुणवत्ता का स्तर ‘आपात’ श्रेणी के नजदीक
उन्होंने बताया कि हमने सभी DM और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर दिशानिर्देश जारी किए। PWD को पानी का छिड़काव बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। राजधानी में प्रदूषण की वजह से आसमान में धुएं की चादर के बीच सांस लेना दूभर हो रहा है। अस्थमा के मरीजों का बुरा हाल है। बच्चों और बुजुर्गों को भी दिक्कतें हो रही हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार मंगलवार को मंदिर मार्ग, पंजाबी बाग, पूसा, रोहिणी, पटपड़गंज, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नजफगढ़, श्री औरोबिन्दो मार्ग और ओखला फेज़-2 स्थित वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 के पास ही दर्ज किया गया।
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ (आपात) श्रेणी में माना जाता है।
वहीं दिल्ली-एनसीआर में सुबह आठ बजे पीएम 2.5 का स्तर 605 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो सुरक्षित सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से 10 गुना अधिक है। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार आठ बजे पीएम 10 का स्तर 777 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया।