देश भर में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जहां तिरंगे को फहरा कर आजादी का जश्न मनाया जाता है तो वहीं इस दौरान पतंजगबाजी भी खूब की होती है।बता दें अभी तक पंतगबाजी के लिए चाइनीज मांझे का बहुत इस्तेमाल होता आया है, लेकिन इस पर प्रतिबंध लगने के बाद मांझे की बिक्री में काफी कमी आई है। ये देसी मांझा इतना ज्यादा खतरनाक आया है, जिससे पतंग तो पतंग, जिंदगी की डोर भी कट सकती है।
दरअसल, 15 अगस्त के मौके पर लोग जमकर पतंगबाजी करते हैं, और उनकी यह मंशा रहती है कि उनकी पतंग न कटे और आसमान में ऊंची उड़ान भरे। इसके लिए चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध के बाद वो शीशे या केमिकल युक्त देसी मांझे का इस्तेमाल करने लगे हैं, जो चाइनीज मांझे की तरह ही खतरनाक है।
चाइनीज मांझे के जैसे ही खतरनाक हो गए
चाइनीज मांझा नायलॉन, शीशा समेत कई केमिकल से बना होता है।यह टूटता नहीं और जितना कसता जाता है उतना ही धारधार होता जाता है।जब कोई पतंग कटती है या गिरती है तो दोपहिया सवार इसकी चपेट में आ जाते हैं। अब तक इसके चपेट में आने से दोपहिया वाहन सवार ही घायल हुए हैं या फिर उनकी मौत हो गयी है। देसी मांझे में भी शीशे या केमिकल के इस्तेमाल के कारण वे चाइनीज मांझे के जैसे ही खतरनाक हो गए हैं।
चाइनीज मांझे की बिक्री और स्टोरेज पर पूरी तरह से प्रतिबंध
बता दें कि, दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितम्बर 2022, 10 फरवरी 2023 और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 21 जनवरी 2020 में दिए अपने आदेशों में कहा था कि पतंगबाज केवल सूत से बने मांझो से ही पतंग उड़ा सकते हैं। इसके लिए सूत में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता है,जबकि चाइनीज मांझे की बिक्री और स्टोरेज पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।