नयी दिल्ली : कांग्रेस ने केंद्र की राजग सरकार पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निवारण) अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से उत्पन्न स्थिति से निबटने में जानबूझकर विलंब करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि वह चाहती तो अभी तक संसद में संशोधन लाकर उसे वैसे ही पारित करवा लेती जैसे उसने वित्त विधेयक को पारित करवाया । पार्टी ने अजा- अजजा कानून को कथित रूप से शिथिल करने के विरोध में दलित संगठनों द्वारा आज देश भर में किये गये विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान- माल के नुकसान के लिए केन्द्र सरकार को जिममेदार ठहराया और कहा कि वह इस मुद्दे को हल्के में ले रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं गुलाब नबी आजाद एवं मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज आरोप लगाया कि मोदी सरकार की दलितों एवं समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण में‘ कोई रूचि नहीं है।’ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने दलित संगठनों द्वारा किये गये बंद का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत बंद सरकार के खिलाफ है, सरकार की कमजोरी, उसकी खामोशी के खिलाफ है और यह पूरी तरह सफल रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा, ‘‘ आज जो जान- माल का नुकसान देश में हुआ है उसके लिए भी यह सरकार जिम्मेदार है।’’ उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए समुचित कदम उठाये होते कि अजा- अजजा कानून कमजोर या शिथिल न हो तो आज का राष्ट्रव्यापी बंद टल सकता था। आजाद ने कहा, ‘‘ हमारी लड़ाई उच्चतम न्यायालय से नहीं केन्द्र सरकार से है।’’ उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इस मामले का सही ढंग से प्रतिनिधित्व नहीं किया। उन्होंने कहा कि न्यायालय में यदि एटार्नी जनरल या उनके सहायक इस मामले की ढंग से पैरवी करते तो इस कानून को कमजोर नहीं किया जाता। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यदि सरकार चाहती तो अभी तक संसद में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ संशोधन ला सकती थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह इस बार वित्त विधेयक को पारित किया गया, उसी तरह यह विधेयक भी पारित कराया जा सकता था।
आजाद ने कहा कि यदि संसद में सरकार ऐसा कोई विधेयक लाती तो शायद ही कोई पार्टी उसका विरोध करती। खड़गे ने कहा कि सरकार को इस मामले में उच्चतम न्यायालय में पुनरीक्षा याचिका पहले ही डाल देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा किउसे उच्चतम न्यायालय की पूर्ण पीठ के समक्ष उपचारात्मक याचिका दायर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में दलित वर्ग का पक्ष ढंग से रखना चाहिए। केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान द्वारा संविधान निर्माता बी आर अंबेडकर को भारत रत्न नहीं देने और उनकी तस्वीर संसद के केन्द्रीय कक्ष में नहीं लगाने के कांग्रेस सरकारों पर लगाये गये आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए खड़गे ने कहा कि फोटो लगाने या मूर्ति लगाने से देश की25 करोड़ आबादी( दलितों की) का उत्थान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों के शासनकाल में तमाम ऐसे कानून बनाये गये जिनसे इन वर्गों को काफी लाभ मिला।
पासवान ने आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि दलित के मुद्दों को लेकर उन्हें भाजपा पर हमला करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी ने दलित समाज या बी आर अंबेडकर के लिए कुछ भी नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति उत्पीड़न निरोधक कानून की कुछ धाराओं को अपने20 मार्च के फैसले के माध्यम से शिथिल किया था। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि इस कानून के तहत सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी जबकि सामान्य नागरिक की गिरफ्तारी से पहले भी कानून के तहत समुचित जांचजरूरी होगी। अजा- अजजा कानून को कथित तौर पर शिथिल किए जाने के विरोध में दलित संगठनों के राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान आज हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें मध्यप्रदेश में एक व्यक्ति की जान चली गयी और कई अन्य घायल हो गये तथा विभिन्न राज्यों में सामान्य जनजीवन बाधित रहा। कुछ राज्यों ने शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया था और संचार एवं रेल समेत परिवहन सेवाएं अस्थायी तौर पर रोक दी थीं लेकिन मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब से आगजनी और तोड़फोड़ की खबरें आई हैं।
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