पुलिस कस्टडी में आरोपी की मौत - Punjab Kesari
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पुलिस कस्टडी में आरोपी की मौत

राजधानी दिल्ली में एक बार फिर पुलिस कस्टडी में एक आरोपी की मौत होने का मामला सामने आया

पूर्वी दिल्ली : राजधानी दिल्ली में एक बार फिर पुलिस कस्टडी में एक आरोपी की मौत होने का मामला सामने आया है। घटना नॉर्थ-ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के नंद नगरी थाने की है। जहां पुलिस की कस्टडी में एक युवक की मौत हो गई। मृतक की पहचान गोविंदा यादव (25) के तौर पर हुई है। उसे शराब तस्करी के आरोप में थाने लाया गया था। परिजनों का आरोप है कि पुलिस कस्टडी में गोविंदा की खूब पिटाई की गई इसी कारण उसकी मौत हुई है। 
बहन का कहना है कि उसके भाई के चेहरे पर खून का निशान भी था। जबकि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि रात करीब सवा नौ बजे पेट में दर्द होने के चलते गोविंदा को अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतक के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं मिला है। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के हवाले कर दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही मौत के सही कारणों का पता चलने की बात कही जा रही है। जानकारी के मुताबिक, गोविंदा परिवार सहित लेप्रोसी कॉलोनी में रहता था। 
वह पेशे से मजदूर के अलावा एक स्ट्रगलर एक्टर भी था। परिवार में राम गुलाम यादव, दो भाई गोपाल, गौतम व अन्य परिजन हैं। बुधवार सुबह छह बजे दोस्त के साथ मजदूरी के लिए गया था। इसके बाद करीब 7 बजे पुलिस ने एक ऑटो में गोविंदा को नईम नामक युवक और 17 पेटी शराब के साथ गिरफ्तार किया। दोनों को थाने ले आई थी और पूछताछ कर रही थी। वहीं रात नौ बजे पेट में दर्द होने के चलते उसे उपचार के लिए जीटीबी अस्पताल ले गए थे, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि गोविंदा किसके साथ गया था और कहां गया था?
पुलिस पर दस हजार लेने का आरोप
रेशमा का आरोप है कि शाम साढ़े बजे उन्हें सूचना मिली थी कि गोविंद और नईम के साथ पकड़े गए दो अन्य आरोपियों को पुलिस ने रुपए लेकर छोड़ दिया है। इस पर थाने पहुंची और भाई को छोड़ने की बात कही। इस पर उधम नामक कांस्टेबल ने उससे भाई को छोड़ने की एवज में 20 हजार रुपए मांगे। इतनी रकम न होनी का बात कही तो कांस्टेबल ने 18 हजार व बाद में बात दस हजार रुपए में तय हो गई। 
रुपए लेने  के बाद भी नहीं छोड़ा..
रुपए लेने के बावजूद रात साढ़े 12 बजे तक गोविंदा को नहीं छोड़ा गया था। पुलिस का कहना था कि वो उसका मेडिकल कराकर उसे घर भेज देगी। भाई गोपाल को पुलिस ने साथ ले जाने की बात कही थी, लेकिन रेशमा को घर भेज दिया था। हालांकि रेशमा खुद जीटीबी अस्पताल पहुंच गई, जहां कोई नहीं था। इस पर रेशमा ने भाईयों के गायब होने की पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) को कॉल कर दी थी। 
दूसरे भाई को बंद करके रखा 
गोपाल का कहना है कि साढ़े नौ बजे से लेकर सुबह साढ़े 4 बजे तक उसे भी पुलिस ने थाने के एक कमरे में बंद कर के रखा था। एक पुलिस वाला उसे ये कह गया था कि वो सो जाए। सुबह उसे पीछे दरवाजे से निकालकर जीटीबी अस्पताल की चौकी में लेजाकर बैठा दिया गया था। उसे वहां पता चला कि उसके भाई की मौत हो गई है। तब तक पुलिस ने उसे भी कुछ नहीं बताया था।
त​बि​यत की नहीं दी सूचना
पुलिस का कहना है कि रात नौ बजे गोविंदा की तबीयत खराब होने पर उसे अस्पताल ले गए थे। मुंहबोली बहन रेशमा का कहना है कि गुरुवार सुबह उन्हें जैसे ही गोविंदा को पुलिस द्वारा थाने ले जाने की सूचना मिली थी वह तुरंत अन्य परिजनों के साथ थाने पहुंची थीं, लेकिन पुलिस ने उन्हें गोविंदा से मिलने नहीं दिया था। 12 बजे गोपाल गोविंदा के लिए खाना लेकर गया तब भी पुलिस ने उससे मिलने नहीं दिया। 
उभरता यू-ट्यूबर था गोविंदा… परिजनों ने बताया कि गोविंदा को एक्टिंग का भी काफी शौक था। उसने 10-12 दोस्तों की टीम बनाकर यू-ट्यूब पर ‘जार्स टीम’ नाम से चैनल बना रखा है। उनकी टीम कॉमेडी, सामाजिक समस्याएं और भ्रष्टाचार पर वीडियो बनाती हैं। गोविंदा ही टीम को लीड करता था। टीम मेम्बर्स ही वीडियो को शूट और एडिट करते हैं। यू-ट्यूब पर अभी उनके चेनल के डेढ़ हजार सब्सक्राइबर्स हैं। गोविंदा रोड शो और जागरण में भी काम करता था। सुदामा के किरदार के लिए भी काफी चर्चित था। परिवार का कहना है कि वो हीरो बनना चाहता था। उसके खिलाफ कोई आपराधिक केस नहीं था। 
पुलिस कस्टडी में 12 दिनों में तीन मौत
राजधानी दिल्ली के अंदर बीते 12 दिनों में ये तीसरी बार है ​जब किसी आरोपी को थाने लाया गया और उसकी वहां मौत हो गई। दरअसल इससे पहले 27 मई को बवाना पुलिस की कस्टडी में बलराज (50) नामक युवक की मौत हो गई थी। वह आधी रात को इमारत से गिर गया था। इसके बाद अभी 5 जून को ही दिल्ली कैंट थाना पुलिस की कस्टडी में कल्याणपुरी निवासी विपिन मैसी उर्फ सुमीत (25) की मौत हो गई थी। अब नंद नगरी पुलिस की कस्टडी में गोविंदा की मौत हो गई।

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