भोपाल : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस एसके पालो की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि एससी-एसटी महिला यदि सामान्य वर्ग के पुरुष से शादी कर लेती है तो उसे जाति का लाभ शादी के बाद भी मिलेगा, लेकिन उसके बच्चों को यह लाभ नहीं दिया जा सकता है। जिला सिवनी निवासी अतुल दुबे के खिलाफ उनके पड़ोस में रहने वाली रंजना उईके ने अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत सिवनी थाने में मामला दर्ज कराया था।
उस दौरान अतुल ने जातिसूचक शब्द से उसे अपमानित किया था। इसके बाद रंजना की शिकायत पर पुलिस ने अतुल के खिलाफ धारा 452, 323, 294, 506 और 34 के तहत मामला कायम किया था। याचिकाकर्ता द्वारा इस प्रकरण को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया था चूंकि महिला गोंड जाति की है और उसने सामान्य जाति के पुरुष से विवाह किया है, इसलिए उसे गोंड जाति का लाभ नहीं मिलना चाहिए। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता सौरभ श्रीवास्तव ने श्रीमती बी नीलिमा विरुद्ध पीजी स्टडीज आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय का रिफरेंस दिया गया, जिसे कोर्ट ने मान लिया और याचिका खारिज कर दी।