दिल्ली में साइबर ठगों की गिरफ्तारी, चौंकाने वाले खुलासे हुए - Punjab Kesari
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दिल्ली में साइबर ठगों की गिरफ्तारी, चौंकाने वाले खुलासे हुए

फर्जी व्हाट्सएप कॉल से 25 लाख की ठगी का पर्दाफाश

दिल्ली साइबर पुलिस ने तीन कुख्यात ठगों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने महेंद्र जैन को व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए 25 लाख रुपये ठगा था। ये ठग फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को डराते थे और मनी लॉन्ड्रिंग का झूठा दावा करते थे। पुलिस ने उनके पास से स्मार्टफोन, सिम कार्ड और बैंक दस्तावेज बरामद किए हैं।

दिल्ली के साइबर पुलिस स्टेशन साउथ वेस्ट की टीम ने सोमवार को तीन कुख्यात ठगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान राहुल वर्मा (रायपुर, छत्तीसगढ़), शांतनु रिचोरिया (झांसी, यूपी) और अर्जुन सिंह (सहारनपुर, यूपी, उम्र 25 वर्ष) के रूप में हुई है। इनके पास से पुलिस ने तीन स्मार्टफोन, चार सिम कार्ड, चार बैंक पासबुक और तीन चेकबुक बरामद किया है। पुलिस के मुताबिक, दिल्ली के राज नगर पालम कॉलोनी निवासी महेंद्र जैन ने साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज की थी कि उन्हें व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए ठगा गया। 21 मार्च को एक कॉलर, जो खुद को नासिक पुलिस की क्राइम ब्रांच का इंस्पेक्टर संजय बता रहा था, ने जैन को बताया कि उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग कैनरा बैंक में फर्जी डेबिट/क्रेडिट कार्ड बनाने में हुआ है। कॉलर ने एक फर्जी कार्ड की तस्वीर दिखाकर दावा किया कि यह एक बड़ी एयरलाइन कंपनी के मालिक द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हो रहा है। डराने-धमकाने के बाद जैन ने अपनी बचत, सावधि जमा और पत्नी के गहने बेचकर पेटीएम और आरटीजीएस के जरिए 25 लाख रुपये ठगों को ट्रांसफर कर दिए। शिकायत के बाद साइबर पुलिस ने 10 अप्रैल को एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की।

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मामले की गंभीरता को देखते हुए इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक के नेतृत्व में एसआई चेतन राणा, एचसी मनेंद्र और एचसी विजयपाल की टीम गठित की गई। डीसीपी सुरेंद्र चौधरी और एसीपी विजय कुमार के मार्गदर्शन में टीम ने तकनीकी निगरानी, डिजिटल फुटप्रिंट और मनी ट्रेल का विश्लेषण किया। जांच में पता चला कि ठग दिल्ली के होटलों से फर्जी व्हाट्सएप नंबरों के जरिए अपराध को अंजाम दे रहे थे। वे पूरे देश से खच्चर खातों (धोखेबाजी के लिए प्रयोग किए जाने वाले अकाउंट) का इस्तेमाल करते थे।

इन तीनों को पहाड़गंज में छापेमारी कर गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि राहुल वर्मा ने पहले अपना बैंक खाता ठगों को दिया, फिर मुनाफा देखकर खुद इस गोरखधंधे में शामिल हो गया। वह खातों को किराए पर देने और खच्चर खाताधारकों को होटलों में लाने का काम करता था। ठग व्हाट्सएप के गुप्त ग्रुप और फर्जी नंबरों के जरिए अंतरराष्ट्रीय ऑपरेटरों से संपर्क करते थे। अब तक 7-8 खच्चर खातों का पता चला है और अन्य आरोपियों की तलाश में छापेमारी जारी है।

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