कोर्ट ने कसौली में अनधिकृत निर्माण नियमित करने की अनुमति देने के NGT के आदेश पर लगाई रोक - Punjab Kesari
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कोर्ट ने कसौली में अनधिकृत निर्माण नियमित करने की अनुमति देने के NGT के आदेश पर लगाई रोक

पटवालिया ने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि वहां जल सुविधाओं की समस्या है और कसौली

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय पर्यटक स्थल कसौली में पर्यावरण क्षतिपूर्ति का भुगतान करने पर अनधिकृत निर्माण नियमित करने की अनुमति देने वाले राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने अगले आदेश तक के लिए हरित अधिकरण के पांच अक्टूबर के आदेश पर रोक लगाई।

पीठ ने कहा, ‘‘हमे ऐसा लगता है कि निर्देश संख्या पांच (अधिकरण का) इस मामले में इस कोर्ट द्वारा समय समय पर दिये गये निर्देशों के अनुरूप नहीं है। इन परिस्थितियों में अगले आदेश तक निर्देश संख्या पांच पर रोक लगाई जाती है।’’ इसके साथ ही पीठ ने इस मामले को अगले साल जनवरी के दूसरे सप्ताह के लिये सूचीबद्ध कर दिया। हरित अधिकरण ने कसौली में अनधिकृत निर्माणों से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान पांच अक्टूबर को पर्यावरण क्षतिपूर्ति भुगतान के बाद ऐसे ढांचों को नियमित करने सहित अनेक निर्देश दिये थे।

अधिकरण के निर्देश संख्या पांच में कहा गया था, ‘‘उन अनधिकृत ढांचों के बारे में जहां नक्शे जमा कराये जा चुके हैं और इस फैसले से पहले ही मंजूरी से अलग हटकर निर्माण किये गये हैं और प्राधिकारी उचित समझते हैं तो मंजूर नक्शे से ज्यादा किए गए निर्माण को नियमित करें।’’

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अधिकरण ने कहा था कि स्वंय के निवास वाले परिसर के मामले में पांच हजार रूपए प्रति वर्ग मीटर और व्यावसायिक अथवा रिहायशी एवं वाणिज्यिक इमारतों के मामले में दस हजार रूपए प्रति वर्ग मीटर की दर से पर्यावरण क्षतिपूर्ति का भुगतान किए बगैर नियमित नहीं किया जायेगा।

कोर्ट में इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने कहा कि अधिकरण के निर्देश अनधिकृत निर्माण को नियमित करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही एक तरह से निष्प्रभावी बनाते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकरण के निर्देशों के दूरगामी असर होंगे क्योंकि यह हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को भी निष्प्रभावी करता है।

हिमाचल प्रदेश सरकार की स्थिति रिपोर्ट का जिक्र करते हुए पटवालिया ने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि वहां जल सुविधाओं की समस्या है और कसौली पहले ही अपनी क्षमता से अधिक दबाव में है। राज्य के महाधिवक्ता अशोक शर्मा ने कहा कि कसौली और इसके आसपास के क्षेत्र में जलापूर्ति के लिये उनके पास एक योजना है।

राज्य सरकार ने 25 अक्तूबर को कोर्ट को सूचित किया था कि कसौली में अनधिकृत निर्माणों के दौरान तैनात लोक सेवकों के खिलाफ लापरवाही के आरोप में विभागीय कार्रवाई शुरू की जा चुकी है।

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