नई दिल्ली : विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुख्यमंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल की नाक के नीचे जल बोर्ड में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितताएं व्याप्त हैं। उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर अनेक संगीन आरोप लगाते हुये उपराज्यपाल से मांग की है कि इसकी भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से विस्तृत जांच करवाई जाए।
एनजीटी ने 16 नवंबर, 2017 को शिक्षण संस्थाओं के लिए यह अनिवार्य किया था कि वे अपने परिसरों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली स्थापित करें। इसके लागू करने की जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड को सौंपी गई। शिक्षण संस्थाओं को एनओसी देने में भी हेराफेरी और भ्रष्टाचार किया जा रहा है। नेता विपक्ष ने कहा कि जल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार सप्लाई चेन में 47 प्रतिशत पानी गंतव्य तक नहीं पहुंचता है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए विशेषकर बोर्ड की एमयू ब्लॉक पीतमपुरा स्थित अधिशासी अभियंता की डिविजन की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा कि इस कार्यालय में मार्च के अंत में पांच करोड़ रुपये की बोगस पेमेंट की गई। 31 मार्च तक सारे वर्क आर्डर का भुगतान कर दिया गया। उपरोक्त डिवीजन में इस वर्ष 20 फरवरी को सुरक्षा उपकरण खरीदने के लिये वर्क आर्डर नंबर 351 जारी किया गया, लेकिन ये वस्तुएं खरीदने के बजाय पुरानी वस्तुओं को नई वस्तुओं के रूप में एंट्री कर शत-प्रतिशत राशि का गबन कर लिया गया।
18 फरवरी को जारी किया गया वर्क आर्डर नंबर 334 में कुछ वस्तुओं को बदला जाना था, लेकिन इसी वस्तु को नहीं बदला गया और पुरानी वस्तुओं पर पेंट कर उन्हें नया रूप देकर फर्जी बिलों के माध्यम से भुगतान कर दिया गया। 28 फरवरी को वर्क आर्डर नंबर 383 के माध्यम से जल के अपने बीपीएस तथा क्षेत्रीय राजस्व अधिकारी के कार्यालय में बिजली के काम का ऑर्डर दिया गया।