नयी दिल्ली : कांग्रेस ने वर्ष 2013 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में हुए दंगों को लेकर दर्ज कई मुकदमों को वापस लेने पर विचार करने का संकेत दिये जाने पर योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला बालते हुए आज सवाल किया कि क्या कोई भी मुकदमा धार्मिक आधार पर वापस लिया जा सकता है तथा चंद मामलों के बजाय इसमें सभी मुकदमों की समीक्षा क्यों नहीं की जानी चाहिए? कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने आज इस बारे में प्रश्न करने पर संवाददाताओं से कहा कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर एवं शामली आदि में हुए दंगों में दुर्भाग्य से 62 लोगों की जानें गयीं और 503 मुकदमें दर्ज किये गये। भाजपा के सांसद संजीव बालियान एवं अन्य पार्टी नेताओं ने पांच फरवरी 2018 को उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन देकर मांग की कि 503 मुकदमों में से 179 मामलों को वापस लिया जाए।
सुरजेवाला ने योगी सरकार और भाजपा से चार सवाल पूछे। अगर दंगों के मामलों की समीक्षा ही करनी है तो केवल 179 की ही क्यों, पूरे 503 मुकदमों की क्यों नहीं? क्या गंभीर अपराध वाले मुकदमों को कोई सरकार राजनीतिक मुकदमें बताकर उन्हें वापस ले सकती है? क्या संविधान या कानून के अनुसार धर्म के आधार पर मुकदमों की वापसी हो सकती है? क्या मुख्यमंत्री इन मुकदमों को इस लिए तो वापस नहीं ले रहे क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि राजनीतिक नेताओं के खिलाफ मामलों की फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई होनी चाहिए।
सुरजेवाला ने आदित्यनाथ को नसीहत दी कि अब वह भाजपा नेता नहीं एक मुख्यमंत्री हैं और उन्हें गोरखपुर संसदीय उपचुनाव के नतीजों से सबक लेना चाहिए। वह संविधान एवं कानून के रक्षक है। उन्होंने कहा कि मुकदमें वापस लेने का फैसला अदालत करेगी पर उसके लिए राज्य सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा ’’ संविधान एवं कानून की ड्योढ़ी पर बैठे हुए व्यक्ति से बगैरे लाग-लपेट के न्याय की रक्षा की अपेक्षा है। क्या वह इसे कर पायेंगे, यह उनकी कसौटी होगी। ’’ इस बीच, उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने आज लखनऊ में कहा कि राज्य सरकार साम्प्रदायिक दंगों के राजनीति से प्रेरित पाये जाने वाले मुकदमों की वापसी पर विचार कर सकती है।
पाठक ने कहा, ‘‘भारतीय दण्ड विधान के तहत दंगों के मुकदमें भी आते हैं। ऐसे मुकदमे अगर राजनीति से प्रेरित पाये गये तो हम उन्हें वापस लेने के बारे में निश्चित रूप से विचार करेंगे।’’ उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में सपा सरकार के कार्यकाल में मुजफ्फरनगर तथा आसपास के कुछ जिलों में हुए दंगों में कम से कम 62 लोगों की मौत हो गयी थी तथा हजारों अन्य बेघर हो गये थे। दंगों के मामले में करीब 1455 लोगों पर कुल 503 मुकदमे दर्ज किये गये थे।
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