नई दिल्ली : नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने गुरुवार को इस बात पर घोर आपत्ति दर्ज की है कि दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की वित्तीय शक्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 तथा दिल्ली वक्फ बोर्ड नियम 1997 के विरुद्ध वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के हाथ में समाहित कर दी हैं। इस प्रकार बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को वित्तीय मामलों में उनके अधिकृत अधिकारों से दरकिनार कर दिया गया है।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि जिस नए नियम को स्वीकृति दी गई है, उसके अंतर्गत अब बोर्ड के अध्यक्ष, एक सदस्य तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी में से कोई भी दो अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हो सकते हैं। इसका प्रभाव यह होगा कि बोर्ड के अध्यक्ष तथा सदस्य बिना मुख्य कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर के बैंक से पैसा निकाल सकते हैं और हर प्रकार का लेन देन कर सकते हैं। मंत्री की यह स्वीकृति पूरी तरह से गैरकानूनी है। नियमों के अनुसार मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज्य द्वारा नियुक्त किया जा सकता है और उसकी स्वीकृति के बिना कोई भी वित्तीय लेन देन नहीं किया जा सकता।
बोर्ड अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान पहले से ही भ्रष्टाचार, गैरकानूनी कार्यों तथा अनियमित कार्य संचालन के लिए सीबीआई द्वारा जांच के अंतर्गत हैं। ऐसे में उन्हें विशाल वित्तीय शक्तियां देना सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है। नेता विपक्ष ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से आग्रह किया कि वे अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिल्ली सरकार के मंत्री की इस अवैध कार्यवाही को संज्ञान में लें और इसे रोकने हेतु कार्रवाई करें ।