विपक्षी एकता को बनाए रखने के लिए इस दल के सभी नेता एक दूसरे की बात मान रहे है। जो दल कभी एक दूसरे के विरोधी हुआ करते थे वो भी अब एक सुर से सुर मिला रहे है। दिल्ली में कांग्रेस पार्टी को हराकर दिल्ली में सत्ता में आने वाली आम आदमी पार्टी को कांग्रेस पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की बात मानते हुए केंद्र के अध्यादेश पर समर्थन दे दिया है। जिसके बाद राजनीतिक गलयारे के चौराहे पर चर्चा जोरो पर है। कोंग्रस नेता और उत्तर पूर्वी दिल्ली से पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं द्वारा लिया गया फैसला सोच-समझकर लिया गया है।
फैसला बहुत सोच समझकर लिया गया
अग्रवाल ने कहा, “पार्टी हाईकमान के फैसले से सभी को सहमत होना होगा. पार्टी के शीर्ष नेताओं ने जो फैसला लिया है, वह बहुत सोच समझकर लिया गया है. अगर हाईकमान अध्यादेश का विरोध करने की बात कहता है तो यह सही है.” भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए अग्रवाल ने कहा, ‘केंद्र की मौजूदा सरकार दूसरी पार्टियों को परेशान करने की कोशिश करती है।
बेंगलुरु में समान विचारधारा वाले दलों की बैठक
दिल्ली अध्यादेश मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा अपना रुख स्पष्ट करने के बाद, AAP अब बेंगलुरु में विपक्षी दलों की आगामी बैठक में भाग लेगी। राघव चड्ढा ने कहा, ”अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में समान विचारधारा वाले दलों की बैठक में भाग लेगी।’
अध्यादेश को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किए जाने की संभावना
इससे पहले, पिछले महीने पटना में विपक्षी दलों की उद्घाटन बैठक में, कांग्रेस ने अध्यादेश मुद्दे पर अपना रुख “अस्पष्ट” रखा था और बार-बार इस बात पर जोर दिया था कि बैठक में अगले पर नजर रखते हुए विपक्षी एकता की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस साल के लोकसभा चुनाव इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए उपयुक्त मंच नहीं थे।