BRS नेता के. कविता की दिल्ली आबकारी नीति मामले में मुश्किलें बढ़ी - Punjab Kesari
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BRS नेता के. कविता की दिल्ली आबकारी नीति मामले में मुश्किलें बढ़ी

दिल्ली आबकारी नीति मामले में शामिल आरोपियों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है चाहे वो मुख्यमंत्री के बच्चे हो या कोई खुद मुख्यमंत्री हो ईडी का शिकंजा लगता कसता जा रहा है। आरोपी और उनके समर्थक लगातार इस मामले में अपना बचाव करते नज़र आ रहे है। लेकिन कोर्ट जब तक निश्चित परिणाम पर नहीं पहुंच जाता कुछ भी कहना जल्द बाजी होगी। इस मामले में आरोपी नेता के कविता को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज गया ।

  • के कविता को 14 दिन की न्यायिक हिरासत
  • लाइसेंस के बदले में आप को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत
  • कविता के वकील ने सीलबंद कवर में एजेंसी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को देखने की अनुमति मांगी

16 मार्च को सात दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेजा

k kavita arrest

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कविता से पूछताछ के लिए उनकी हिरासत की अवधि बढ़ाए जाने का अनुरोध नहीं किया जिसके बाद विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने यह आदेश पारित किया। बीआरएस नेता को 16 मार्च को सात दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेजा गया था और इसे पिछले शनिवार को तीन दिन के लिए बढ़ा दिया गया था। सुनवाई के दौरान बीआरएस नेता कविता के वकील नीतेश राणा ने अदालत से अपनी मुवक्किल के बेटे की परीक्षा के आधार पर उन्हें अंतरिम जमानत दिए जाने का अनुरोध किया।

लाइसेंस के बदले में आप को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत

ईडी के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि अगर अंतरिम जमानत पर विचार किया भी जाना है तो जवाब दाखिल करने का अवसर दिया जाना चाहिए।
ईडी ने रेखांकित किया कि अंतरिम और नियमित जमानत दोनों के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कड़े प्रावधान हैं। ईडी ने आरोप लगाया है कि तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी कविता उस ‘साउथ ग्रुप’ की अहम सदस्य थीं, जिस पर राष्ट्रीय राजधानी में शराब लाइसेंस के बदले में ‘आप’ को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप है।

प्रस्तुत दस्तावेजों को देखने की मांगी अनुमति

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कविता (46) को केंद्रीय जांच एजेंसी ने 15 मार्च को गिरफ्तार किया था। कविता के वकील ने पीएमएलए के प्रावधानों 19 (2) के तहत सीलबंद कवर में एजेंसी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को देखने की भी अनुमति मांगी। प्रावधान के अनुसार, गिरफ्तारी के तुरंत बाद संबंधित प्राधिकारियों को गिरफ्तारी आदेश को अपने पास मौजूद सामग्री के साथ अदालत को भेजना होता है।

 

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