बिहार को विशेष सहायता की दरकार - Punjab Kesari
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बिहार को विशेष सहायता की दरकार

विशेष राज्य का दर्जा मिलता है, उसे केन्द्र से मात्र 10 प्रतिशत कर्ज के रूप में और बाकी

पटना  : 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डा. एन. के. सिंह द्वारा दिये गये वक्तव्य में बिहार को विशेष सहायता देने का आश्वासन के साथ सेस और सरचार्ज का वितरण आयोग का हिस्सा बनेे का स्वागत करते हुए डा. जगन्नाथ मिश्र ने कहा कि बिहार जैसी पिछड़ी राज्य को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए विशेष सहायता एवं विशेष राज्य का दर्जा मिलने वाली सहायता की आवश्यकता है तभी बिहार अन्य विकसित राज्यों की श्रेणी में आयेगा।

विशेष राज्य का दर्जा जो वित्त आयोग के अधिकार में नहीं है, परन्तु बिहार में अभी भी राष्ट्रीय औसत से प्रति व्यक्ति आय का कम होना। बिहार को अन्य राज्यों की श्रेणी में लाना कठिन होगा। इसलिए उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है कि सेस और सरचार्ज वित्त आयोग के वितरण का हिस्सा बने ताकि बिहार जैसे राज्यों को लाभ मिल सके। उन्होंने यह भी कहा है कि बिहार के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिये क्योंकि बिहार की प्रति व्यक्ति आय अन्य राज्यों से कम है।

पूर्व में बिहार को उचित केन्द्रीय सहायता नहीं मिली, जिसके परिणामस्वरूप आज भी बिहार बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर नहीं निकल सका है। केन्द्रीय सहायता में बढ़ोतरी केन्द्र अपने अनेक योजनाओं को लागू करने के एवज में राज्यों को वित्तीय मदद देते हैं। डा. मिश्र ने यह भी कहा कि पूर्व में केन्द्र द्वारा जो राज्यों को संसाधन उपलब्ध कराये जाते थे, उनमें कोई भी विशेष नियमों का पालन नहीं होता था।

इसके चलते अलग-अलग क्षेत्रों का विकास एक समान नहीं हो पाया। विशेष श्रेणी के राज्य के दर्जे का मुद्दा 1969 में सर्वप्रथम राष्ट्रीय विकास परिषद् की बैठक में डा. गाडगिल के फॉर्मूला में कहा गया कि राष्ट्रीय विकास परिषद् की ओर से कुछ राज्यों को विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिये। इससे पहले तक केन्द्र के पास राज्यों को अनुदान देने का कोई स्पेसिफिक फॉर्मूला नहीं था। उस समय तक सिर्फ योजना आधारित अनुदान ही दिये जाते थे।

डा. गाडगिल कमिटी ने जो रिपोर्ट दी, उसे राष्ट्रीय विकास परिषद् ने ही स्वीकृति प्रदान की। सामान्य राज्य को केन्द्र के द्वारा प्रदत्त वित्तीय सहायता में 70 प्रतिशत कर्ज के रूप में और 30 प्रतिशत मदद के तौर पर मिलता है। लेकिन जिस राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है, उसे केन्द्र से मात्र 10 प्रतिशत कर्ज के रूप में और बाकी 90 प्रतिशत मदद के तौर पर वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।

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